दावेदारों के नामों पर मंथन..जिले के बीजेपी नेताओं को भी ’कुर्सी’ की है आस

सबसे पहले स्थानीय निकायों और शिक्षण संस्थानों में राजनीतिक नियुक्तियां शुरू होने की संभावना

उज्जैन। उज्जैन जिले के उन बीजेपी नेताओं को राजनीतिक नियुक्तियों की आस जल्द ही पूरी होने वाली है जो लंबे समय से इसका इंतजार कर रहे है। बताया जा रहा है कि आने वाले दिनों में जल्द ही राजनीतिक नियुक्तियां की जाएंगी। इसके लिए दावेदारों के नामों पर मंथन हो चुका है। भाजपा सूत्रों के अनुसार, सबसे पहले स्थानीय निकायों और शिक्षण संस्थानों में राजनीतिक नियुक्तियां शुरू होने की संभावना है।

इसको लेकर सरकार और संगठन के बीच गहन मंथन पिछले दो महीने से चल रहा है।  फिलहाल पार्टी हाईकमान ने बिहार विधानसभा चुनाव की वोटिंग पूरी होने तक नियुक्तियों पर रोक लगाई है। माना जा रहा है कि मतदान प्रक्रिया खत्म होते ही प्रदेश में सत्ता और संगठन की बड़ी बैठक होगी, जिसमें राजनीतिक नियुक्तियों पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

पार्टी सूत्रों के अनुसार, नियुक्तियों की तैयारी पहले ही पूरी कर ली गई थी, लेकिन बिहार चुनाव के चलते यह प्रक्रिया रोक दी गई थी। प्रदेश प्रभारी डॉ. महेंद्र सिंह, क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल और हितानंद की चुनावी जिम्मेदारी के कारण मंथन टल गया था। अब 10 से 15 नवंबर के बीच इनके प्रदेश दौरे के दौरान नियुक्तियों पर चर्चा की जाएगी। इसी दौरान युवा मोर्चा और महिला मोर्चा सहित दो प्रमुख मोर्चों पर भी सहमति बनने की संभावना है। सूत्र बताते हैं कि दिल्ली से हरी झंडी मिलते ही नामों का ऐलान शुरू कर दिया जाएगा। जनीतिक नियुक्तियों की प्रक्रिया अंतिम दौर में है। भाजपा सूत्रों के मुताबिक जनभागीदारी समितियों में अध्यक्ष और नगरीय निकायों में एल्डरमैन की नियुक्तियों में विधायकों की पसंद का ध्यान रखा जाना है। इसके चलते विधायकों से नाम भी मांगे जा रहे हैं। नियुक्तियों की प्रक्रिया बिहार चुनाव के नतीजे आने के बाद शुरू हो जाएगी। गौरतलब है कि प्रदेश के 500 से अधिक सरकारी कॉलेजों में वर्ष 2022 में जनभागीदारी समितियों में नियुक्तियां की गई थी। इनका कार्यकाल पूर्ण हो चुका है। इसी महीने 3 नवंबर को 300 से अधिक जनभागीदारी समितियों का कार्यकाल पूर्ण हो चुका है। अन्य कॉलेजों की जनभागीदारी समितियों का कार्यकाल भी जल्द पूरा हो जाएगा।

इसके चलते सरकार ने नई नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी है। जनभागीदारी समितियों का कार्यकाल तीन साल के लिए होता है। इसके साथ ही अधिकांश नगर निगमों, नगर पालिकाओं और नगर परिषदों में नवंबर में अधिकांश नियुक्तियां पूरी करने की प्रक्रिया भी तय हो गई है। इस प्रकार प्रदेशभर में सैकड़ों भाजपा कार्यकर्ताओं और संगठन से जुड़े सक्रिय नेताओं को स्थानीय शासन में भागीदारी का अवसर मिलेगा। इन नियुक्तियों के बाद निगम मंडल और बोर्ड में खाली पड़े पदों पर नियुक्तियां शुरू हो जाएंगी। विधानसभा चुनाव से पहले सत्ता और संगठन मिलकर भाजपा कार्यकर्ताओं और दिग्गज नेताओं को साधने में जुट गए हैं। कांग्रेस का पाला बदलकर भाजपा में आने वालों के हाथ अभी भी खाली है। ऐसे में इन नेताओं के पास अब राजनीतिक नियुक्ति का अंतिम विकल्प बचा है।

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