खूले दूध में दाम पूरे,गुणवत्ता का अभाव सांची ने भी बढाए दूध के दाम 2 रूपए -गर्मी के दिनों में उत्पादन प्रभावित होने पर उपभोक्ता से ज्यादा होता है छल

उज्जैन। गर्मी के समय में दूध के उत्पादन में जैसे ही गिरावट की स्थिति बनती है वैसे ही दाम बढने का सिलसिला शुरू हो जाता है। इसके साथ ही खुले बाजार में दूध में दाम पूरे और गुणवत्ता का अभाव होता है। दूध के उत्पादन प्रभावित होने के साथ ही दूध कंपनियों ने भाव बढाने शुरू कर दिए हैं। अमूल के बाद सांची ने भी अपने दाम में 2 रूपए लीटर की वृद्धि कर दी है।

इसे उपभोक्ता जागरूकता का अभाव ही कहा जाएगा की तमाम व्यवस्थाओं के बावजूद दूध के दाम पूरे देकर अशुद्ध्‍ पानी मिला दूध खरीद रहा है। दूध वेंडर और हाकर्स उपभोक्ताओं को गली –गली दूध तो बेंच रहे हैं लेकिन इस दूध की गुणवत्ता पर सवाल खडा हो रहा है।दाम भी उपभोक्ता से दूग्ध संघ की माफिक ही लिए जा रहे हैं।

उज्जैन सहकारी दुग्ध संघ ने भी अपने दूध के दाम में बढोतरी कर दी है। इसके साथ ही घी के दाम भी बढाए गए हैं। संघ ने अपने दाम में अधिकतम 2 रूपए प्रति लीटर के भाव में वृद्धि की है। घी के दाम अब उपभोक्ता के लिए प्रति लीटर 630 रूपए कर दिए गए हैं। यह दर उपभोक्ताओं पर लागू भी कर दी गई है। जारी दरों में फूल क्रीम दूध 500 एमएल 34 रूपए,एक लीटर 67 रूपए,स्टैंडर्ड दूध शक्ति 500 एमएल 31 रूपए ,टोंड दूध 500 एमएल 28 रूपए, डबल टोंड दूध स्मार्ट 500 एमएल 26 रूपए , चाह दूध  एक लीटर 60 रूपए के दाम तय किए गए हैं।

खूले दूध को लेकर जागरूकता का अभाव-

खूला दूध खरीदने वाले उपभोक्ताओं में जागरूकता की कमी साफ तौर पर देखी जा रही है। उज्जैन शहर की ही बात की जाए तो यहां करीब 150 से अधिक छोटी बडी डेयरी संचालित की जाती है। प्रतिदिन गली मोहल्लों में सुबह शाम 600 से अधिक दूध वेंडर सायकिल और बाईक पर फूटकर दूध विक्रय करते हैं। इनमें अधिकांश मासिक बंदी और नकदी दूध विक्रय कर रहे हैं। आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से अधिकांश बाईक वाले वेंडर आते हैं। कुछेक स्थानीय डेयरी या अन्य विक्रेताओं के यहां काम करने वाले वेंडर हाकर साईकिलों पर दूध विक्रय करते हैं। अधिकांश क्षेत्रों में दूध 62-64  रूपए लीटर के भाव ही फूटकर में बेचा जा रहा है। इस भाव में गुणवत्ता वाला दूध निजी डेयरी पर उपलब्ध होता है। इसी भाव में फूटकर में वेंडर और हाकर उपभोक्ता को दूध बेंच रहे हैं। खाद्य सुरक्षा विभाग दूध में मिलावट की जांच करने के लिए तत्पर रहता है उसके बावजूद शहर के कई क्षेत्रों एवं बस्तियों में उपभोक्ता मिलावटी दूध खरीद कर दाम पूरे अदा कर रहा है। हाल यह हैं की खाद्य सुरक्षा विभाग में दूध की जांच के लिए उपभोक्ता जाते ही नहीं हैं। उपभोक्ता जागृति के अभाव में ऐसा हो रहा है। विभागीय नियम के अनुसार लायसेंसी वेंडर ,हाकर को अपने उत्पाद की वर्ष में दो बार जांच करवा कर खूद ही उसे विभागीय नियमानुसार अपलोड भी करना है।

उपभोक्ता चाहे तो जांच करवाएं-

खाद्य सुरक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार उपभोक्ता हाकर और वेंडर से ले रहे दूध की जांच स्थानीय स्तर पर करवा सकता है। इसके लिए कांच की शीशी में वह करीब 100 मिलीलीटर दूध खाद्य सुरक्षा कार्यालय  में लाकर उसकी जांच करवा सकता है। जिसमें उसे बताया जाएगा कि उसे वेंडर द्वारा दिया गया दूध किस गुणवत्ता का है। उपभोक्ता अपने हाकर और वेंडर से उसके फूड सेफ्टी लायसेंस की मांग भी कर सकता है।

ऐसे लग रहा उपभोक्ता को चूना-

सूत्र जानकारी दे रहे हैं कि दूध में 1 टू का 4 करने में कई हाकर और वेंडर माहिर होते हैं। वर्तमान में निजी डेरी पर 6 फैट का दूध 62-64 रूपए प्रति लीटर में उपभोक्ता को फूटकर में बेचा जाता है। दुग्ध संघ के दाम इससे उपर हैं। इनमें से कुछ निजी डेयरी से दूध के लिए हाकर भी हैं।ये हाकर डेयरी से मिले दूध को वितरण करने जाते समय सवाया कर लेतें हैं। इसके बाद फूटकर में बेचते समय उपर का नकद जेब में उनका हो जाता है। कतिपय हाकर एवं वेंडर ऐसे भी हैं जो निजी डेरी से प्रति दिन लाट में दूध खरीदते हैं। उन्हें प्रतिदिन व्यवसाय की लिए दूध 2-4 रूपए कम में निजी डेरी संचालक उपलब्ध करवाते हैं। ऐसे हाकर और वेंडर अपने लाभ को सवाया करने के लिए भी दूध की गुणवत्ता से छेडछाड कर रहे हैं। लायसेंसी वेंडर और हाकर विभागीय नियमों की पूतिर्‍ के लिए वर्ष में दो बार जांच करवाते समय गुणवत्ता वाला दूध सेंपल में देते हैं और उपभोक्ता को चूना लगाते रहते हैं।

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