खुसूर-फुसूर नि:शुल्क भोजन में मरीज को पेट दर्द मिला

खुसूर-फुसूर

नि:शुल्क भोजन में मरीज को पेट दर्द मिला

रूग्णालयों में  बीमारों को नि:शुल्क भोजन की परंपरा बहुत पुरानी है। समय के साथ इस व्यवस्था में विकृति सामने आती रही है। इसके पीछे अर्थपिपासु प्रवृत्ति का बढना है। यह व्यवस्था कभी शासकीय रूग्णालय ही चलाया करते थे बाद में इसे ठेका आधारित बना दिया गया। उसमें भी ठेकेदार को एक तय राशि प्रति मरीज के मान से दिए जाने का प्रावधान है। इस व्यवस्था में जिला रूग्णालय में जो हाल सामने आए हैं उसे जानकर तो यही कहा जाएगा कि चौबेजी दूबे जी होकर लौटे। एक बीमारी का ईलाज करवाने जाने वाले गरीब लोग यहां से पेट दर्द और अन्य परेशानी नि:शुल्क लेकर आ रहे हैं। कच्ची रोटी,साफ सफाई के साथ सुरक्षा मानकों का अभाव मरीज को गंभीर मरीज अवस्था में पहुंचाने के लिए काफी है। ऐसा नहीं है कि ठेकेदार इसमें सेवा कर रहे हैं इसके तहत होने वाली संख्या का मापदंड और उपयोग की स्थिति में काफी अंतर है । इसके चलते यहां 48 रूपए में भी पौष्टिक आहार सप्लाय किए जाने को लेकर जमकर प्रतिस्पर्धा है। खुसूर-फुसूर है कि संभाग के सबसे बडे अस्पताल में एक से एक डाक्टर एवं स्टाफ है। जिला प्रशासन की और से भी यहां प्रशासनिक अधिकारी को प्रभारी बनाया जाता है उसके बाद भी मरीज के भोजन में कच्ची रोटी और इसके साथ ही अन्यानेक मामले सामने आना यह तय करता है कि पूरे कुए में ही भांग पडी है।

 

 

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