खुसूर-फुसूर तो क्या इस बार भी आयोजन बगैर एक्ट के होगा

खुसूर-फुसूर

तो क्या इस बार भी आयोजन बगैर एक्ट के होगा

वर्ष 2028 में शहर में बडे आयोजन को लेकर तैयारियों का दौर शुरू हो चुका है। इसमें धीरे-धीरे गति आती जा रही है लेकिन सवाल फिर वही खडा हो रहा है कि इस धीमी गति के चलते अब तक जितने कार्य स्वीकृत हुए हैं और जो काम आयोजन की आवश्यकता के अनुसार किए जाने हैं क्या वे समय पर पूरे हो सकेंगे। कुछ समय पूर्व प्रदेश के प्रशासनिक मुखिया ने आकर इन कामों का धरातल देखा था। उनके यहां से जाने और उसके एक पखवाडे बाद हुए निर्णय से ही यह सामने आया कि वे यहां के कामों को लेकर कतई रूप से प्रसन्न तो नहीं थे न ही कामों की गति को लेकर ही उन्हें अच्छा लगा हो। जाने के बाद उन्होंने इतने बडे आयोजन के प्राधिकरण के पूर्नगठन को लेकर प्रशासनिक प्रक्रिया को अंजाम देते हुए अपने एक अनुभवी अधिकारी को उसकी जिम्मेदारी दे दी और उसके बाद ही कुछ मामलों में गति की स्थिति तो बनी ही है साथ ही अन्य उलझन के मामलों में भी राह निकलने की स्थितियां बनने लगी है। प्रशासनिक मुखिया को इतने बडे आयोजन को लेकर प्राधिकरण की जानकारी तो दी गई लेकिन उन्हें यह नहीं बताया गया कि यह आयोजन बगैर किसी अधिनियम के ही होते आ रहा है जिससे की कई प्रकार की विकृतियां जन्म लेने लगी हैं। इसका एक्ट बनने पर इस आयोजन को एक बडा आधार तो मिलेगा ही साथ ही आयोजन की एक स्पष्ट विधान की स्थिति बन सकेगी। यह भी उन्हें जानकारी में नहीं दिया गया कि हाल ही में पास के प्रदेश में त्रिवेणी के संगम पर हुआ आयोजन का भी एक अधिनियम है और कई वर्षों पूर्व ही उसे बनाकर लागू किया जा चुका है लेकिन हमारे यहां अब तक अधिनियम को लेकर किसी ने पहल करना ही वाजिब नहीं समझा है। खुसूर-फुसूर है कि इस बार यहां के आयोजन में 18 से 20 करोड श्रद्धालुओं के आने का आंकडा तो निकाला जा रहा है लेकिन इसके विधान को लेकर शासन से लेकर प्रशासन तक सभी शिथिल हैं जबकि दशकों से यह बात सामने आती रही है कि इतने बडे आयोजन के लिए एक्ट बनाया जाना चाहिए फिर भी इस मामले को बहुत हल्के में लिया जाता रहा है । आखिर कोई तो वजह होगी ही की इतने बडे आयोजन को लेकर अधिनियम बनाने को लेकर अब तक किसी की दिलचस्पी नहीं रही ।

 

 

 

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