उज्जैन । गर्मी के इन दिनों में मोक्षदायिनी शिप्रा में घाटों पर पानी रूका हुआ है। कुछ घाटों पर पानी रोक देने एवं प्रदुषण से मछलियों के मरने का सिलसिला चल रहा है। मरी हुई मछलियों के पानी में तैरते रहने और घाट किनारे आने से श्रद्धालु आहत हो रहे हैं। मरी मछलियों की स्थिति देखकर पर्याप्त पानी नहीं होने के साथ ही गंदे नालों का प्रदुषित पानी जलीय जीव के जीवन के लिए घातक हो रहा है। वैसे पिछले तीन दिनों से मावठा गिरने और हवाओं के चलने से इसमें कमी आई है।
शिप्रा में मरी हुई मछलियों की सडांध से शिप्रा जल का आचमन तो ठीक श्रद्धालू छींटे डालने से कतरा रहे हैं। नालों का गंदा पानी सतत रूप से इसमें विभिन्न जगह पर मिल रहा है। इसके साथ ही त्रिवेणी पर कान्ह का पानी सतत रूप से मिलना जारी है। पानी रूका हुआ होने के साथ ही प्रदुषित पानी के मिलने से पिछले कुछ दिनों से निरंतर मछलियों एवं जलीय जीवों के मरने से घाट के किनारों पर मरी हुई मछलियों एवं अन्य जलीय जीवों का ढेर लग गया है। नदी में मरी मछलियां सामने ही पडी हुई हैं ओर उन्हें आस पास से कुत्ते एवं अन्य जानकार आकर घाट पर लाकर नोचते हैं। इसके साथ ही मरी हुई मछलियों की सडांध से श्मसान घाट पर आने वाले शहर भर के नागरिकों को बैचेनी और बदबू गंदगी से दो-चार होना पड़ रहा है। श्मसान के निचले हिस्से में शव की अंत्येष्टि करने वाले लोगों को इससे बडी परेशानी हो रही है। बराबर सभी घाट क्षेत्र में मछलियों के मरने के कारण पानी और भी दूषित हो रहा है। नदी के पानी से से बदबू भी आ रही है। इसे लेकर नगर निगम पीएचई के साथ ही जलसंसाधन विभाग के अधिकारियों का कोई ध्यान नहीं है। इधर तैराकी का शौक रखने वाले लोगों को नृसिंह घाट सहित अन्य घाटों पर यह स्थिति देखकर परेशानी हो रही है।
पानी गिरने और हवा चलने से कमी आई-
शिप्रा घाट पर सेवक एवं फोटोग्राफर विनोद चौऋषिया बताते हैं कि पिछले तीन दिनों से मछलियों के मरने की स्थिति में कमी आई है। मावठे की बारिश एवं हवाओं के चलने से प्रदुषित पानी में अंतर आया है। ऐसे में आक्सीजन की कमी से मर रही मछलियों के मरने की संख्या में कमी हुई है। इससे पहले मरी मछलियां काफी संख्या में पानी में देखी जा रही थी अब इसमें कमी हुई है।
