ईवी तरंग पोर्टल नहीं बन पाया  अभी तक, जानकारी ही नहीं मिल पा रही है कि कितने चार्जिंग स्टेशन हैं और वे कहां पर हैं

गूगल आदि का सहारा लेना पड़ रहा है

उज्जैन। प्रदेश सरकार की इलेक्ट्रिक वाहन नीति के अनुसार भले ही शहर या जिले भर में इलेक्ट्रॉनिक वाहनों का उपयोग करने के लिए बढ़ावा दिया जा रहा है  लेकिन स्थिति यह है कि अब तक चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित नहीं हो पाया है। गौरतलब है कि  प्रदेश में ईवी पॉलिसी-2025 को 27 मार्च को लागू किया गया है। इसके बाद उसकी गाइडलाइन भी जारी हो गई है।
 लेकिन अभी तक ईवी तरंग पोर्टल नहीं बन पाया है। इससे नागरिकों को यह जानकारी ही नहीं मिल पा रही है कि कितने चार्जिंग स्टेशन हैं और वे कहां पर हैं। इसके लिए गूगल आदि का सहारा लेना पड़ रहा है लेकिन कई बार यह जानकारी पूरी तरह गलत भी निकल जाती है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए  चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के आवेदन और उसके लिए पॉलिसी में तय इंसेंटिव आदि क्रियाकलाप इस पोर्टल के माध्यम से ही किए जाने हैं।

रोड टैक्स और रजिस्ट्रेशन शुल्क में छूट का ही लाभ

अभी तक ईवी वाहनों की खरीदी पर केवल रोड टैक्स और रजिस्ट्रेशन शुल्क में छूट का ही लाभ मिल पा रहा है। जबकि नई नीति के तहत घोषणा की गई है कि सार्वजनिक स्थलों पर चार्जिंग स्टेशनों के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी। राजमार्गों, प्रमुख सड़कों पर प्रत्येक 25 किलोमीटर पर एक चार्जिंग स्टेशन, राजमार्गों पर प्रत्येक 100 किलोमीटर पर लंबी दूरी/ हेवी-ड्यूटी इलेक्ट्रिक वाहन के लिए फास्ट चार्जिंग स्टेशन (दोनों तरफ) लगाए जाएंगे। प्रत्येक एक किमी बाई, एक किमी ग्रिड में कम से कम एक चार्जिंग स्टेशन होगा। नीति अवधि के अंत तक सभी पेट्रोल पंपों पर कम से कम एक इलेक्ट्रिक चार्जिंग प्वाइंट लगाया जाएगा। ईवी चार्जिंग एवं सर्विस सेंटर ऐसी सडक़ पर स्थापित नहीं किए जाएंगे जिन पर राइट ऑफ वे 30 मीटर से कम हो। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को चार्जिंग स्टेशन लगाने पर विशेष छूट दी जाएगी।

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