49.42 करोड़ के आबकारी घोटाले में ईडी ने की कार्रवाई
ब्रह्मास्त्र इंदौर
प्रवर्तन निदेशालय के इंदौर उप-जोनल कार्यालय ने 3 अक्टूबर 2025 को अंश त्रिवेदी और राजू दशवंत को करोड़ों रुपए के मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में गिरफ्तार किया है।
यह कार्रवाई कथित तौर पर फर्जी शराब चालान घोटाले की जांच से जुड़े मामले में की है। ईडी की जांच में खुलासा हुआ है कि अंश त्रिवेदी और राजू दशवंत इस पूरे फजीर्वाड़े के मुख्य साजिशकर्ता हैं। उन्होंने ही धोखाधड़ी की पूरी योजना बनाई और उसे अंजाम दिया।
दोनों आरोपियों को न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उन्हें 8 अक्टूबर 2025 तक ईडी की हिरासत में भेज दिया है। ईडी ने जांच में रावजी पुलिस थाने इंदौर में दर्ज एफआईआर के आधार पर शुरू की थी, जिसमें कुछ शराब ठेकेदारों पर सरकारी कोष को लगभग 49.42 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाने का आरोप है।
इन पर सरकारी कोष में जमा किए गए चालानों में हेराफेरी और जालसाजी करने का आरोप है। जांच में सामने आया कि आरोपी ठेकेदारों ने पहले नाममात्र की राशि वाले चालान जमा किए और चालान में रुपयों में शब्दों में वाला कॉलम जानबूझकर खाली छोड़ा जाता था। जमा करने के बाद उन्होंने चालानों में राशि को बढ़ाकर शब्दों और अंकों में फेरबदल किया। इन फर्जी चालानों को बाद में शराब देशीगोदामों या विदेशी शराब के मामले में जिला आबकारी कार्यालयों में जमा किया गया, ताकि एक्साइज ड्यूटी, बेसिक लाइसेंस फीस या मिनिमम गारंटी के भुगतान का झूठा प्रमाण दिखाया जा सके।
इन जाली दस्तावेजों के आधार पर आरोपियों ने गैरकानूनी एनओसी और लाइसेंस स्वीकृतियां प्राप्त कीं, जिससे राज्य सरकार को भारी आर्थिक नुकसान हुआ। जिस वक्त यह शराब घोटाला हुआ था, उस वक्त जिला आबकारी कार्यालय में जिला आबकारी अधिकारी के पद पर संजीव दुबे नियुक्त थे। यही वजह रही कि आबकारी विभाग के सहायक आयुक्त संजीव कुमार दुबे सहित 6 अफसरों को निलंबित कर दिया था। निलंबित अधिकारियों में लसूड़िया आबकारी वेयरहाउस के प्रभारी डीएस सिसोदिया, महू वेयर हाउस के प्रभारी सुखनंदन पाठक, सब इंस्पेक्टर कौशल्या सबवानी, हेड क्लर्क धनराज सिंह परमार और अनमोल गुप्ता के नाम भी शामिल हैं।
इसके अलावा 20 अन्य अधिकारियों के तबादले भी किए थे, जिनमें उपायुक्त विनोद रघुवंशी का नाम भी शामिल था।
