उज्जैन। नगर निगम ने शहर में अत्याधुनिकता के काम तो कर दिए लेकिन उनकी मरम्मत को लेकर उसकी उदासीनता और व्यवस्था नहीं है। स्ट्रीट लाईट को लेकर आमजन में नगर निगम का संदेश अच्छा नहीं जा रहा है। नगर निगम की नकारात्मक छवि उजागर हो रही है। कुछ साल पहले महानंदा नगर स्पोर्टस एरिना क्षेत्र के आसपास पाथ-वे बनाया गया था। अत्याधुनिक आटो स्ट्रीट लाईट लगाई गई थी,सुधार के अभाव में अधिकांश लाईंटें बंद है और शाम के साथ रात्रि में पैदल वाक करने वाले अंधेरे में ही घूमते हैं।
नगर निगम अत्याधुनिकता के साथ जिस काम को करे समझ लिजिए वो काम आगे चलकर निगम को आर्थिक नुकसान तो देगा ही नागरिकों को उससे कष्ट भी उठाना है। पाथ वे पर आधुनिक लाईट का ही मसला नहीं है। नगर निगम ने खाद ठिए पर 10 करोड की लागत से आधुनिक सब्जी मंडी बनाई थी। आज तक शुरू नहीं हो सकी है। नगर निगम ने शहर में सिटी बसें चलाई , पहले सीएनजी और बाद में डीजल,सभी डूब गई और कंपनी डब्बे में बंद पडी है। ऐसे अनेकों मसले हैं जिन पर आधुनिकता के नाम पर सिरे से ही चोंट खाने के काम किए गए हैं।
आधा किलोमीटर भी नहीं सहेज सके-
कुछ वर्ष पूर्व स्पोर्टस एरिना के आसपास करीब आधा किलोमीटर क्षेत्र का सौंदर्यकरण किया गया था। इसमें पाथ-वे बनाया गया था। ब्लाक लगाकर सुंदर रूप से बनाए गए पाथ-वे में नगर निगम ने अत्याधुनिक आटो स्ट्रीट लाईटें लाखों की लागत से लगाई थी। कुछ समय बाद ही इन स्ट्रीट लाईटों की एल ई डी खराब होने का सिलसिला शुरू हो गया और लाईटें लपझप करने लगी थी। हालिया स्थिति में जो लाईंटें चालू हैं वो शेडो की उपस्थिति में बंद चालू नहीं हो रही है। या तो ये लाईटें बंद रहती हैं या फिर चालू रहती हैं। अत्याधुनिक लाईटें लगाते समय यह दावा किया गया था कि इससे बिजली की बचत होगी। सेंसर पर छाया पढने और आवागमन के दौरान ही यह चालू होंगी,लेकिन कुछ वर्षों में ही दावा खोखला साबित हो गया। हाल यह है कि कुछ पोल पर स्वीच लटके देखे गए हैं। इसका आशय साफ है कि मरम्मत करवाने की स्थिति न होने पर यहां साधारण सुधार कार्य कर लाखों की लाईटों को बेकार कर दिया गया है।अत्याधुनिक लाईटों को लगाने वाली एजेंसी से मरम्मत की पर्याप्त अनुबंध पर कार्य करवाना भी निगम के प्रकाश विभाग के अधिकारियों ने वाजिब नहीं समझा है। खास बात तो यह है कि बुजुर्गों के घूमने के लिए खास तौर पर इस पाथ-वे को बनाया गया था। प्रतिदिन इस पाथ-वे पर अल सुबह एवं शाम को बुजुर्ग घूमने आते हैं लेकिन पथ प्रकाश के अभाव में यहां घटना दुर्घटना का अंदेशा कायम है। नगर निगम प्रकाश विभाग के जिम्मेदार कई बार यह देखते हुए निकल जाते हैं लेकिन उनमें से किसी ने भी अब तक इन लाईटों के सुधार कार्य की पहल नहीं की है।
शहर की अन्य स्ट्रीट लाईटों के हाल भी बूरे-
वर्तमान में शहर में स्ट्रीट लाईटों के हाल बूरे पडे हैं। संभवत: आधे शहर में ही स्ट्रीट लाईटें जल रही हैं एवं शेष हिस्सा बंद पडा है। कालोनी स्तर पर भी यही हाल कायम हैं और प्रमुख मार्गों पर भी यही हाल कायम है। स्थिति इतनी बदतर है कि वीआईपी रोड पर भी आधी लाईटें जलती हैं और आधी बंद रहती हैं। देवास रोड पर भी यही हाल देखे जा रहे हैं जो पिछले कई दिन से कायम हैं तो इंदौर रोड के साथ एमआर-2 सहित अनेक मार्ग पर ऐसी ही स्थितियां कायम है। कालोनी स्तर पर लगी स्ट्रीट लाईटों को लेकर भी नगर निगम की और से कोई सजगता नहीं रखी जा रही है। सर्वाधिक टेक्स चुकता करने वाली कालोनी ऋषिनगर में ही अधिकांश लाईटें बंद रहती है। पिछले तीन दिनों में हुई बारिश के बाद क्षेत्र में जहरीले जीव जंतू निकल रहे हैं और रहवासियों को परेशानी हो रही है उसके बावजूद कोई सूनने को तैयार नहीं हैं।
समस्याओं को कर्मचारी सेवा से जोडा जाए-
नगर निगम के एक पुराने अधिकारी बताते हैं कि स्थानीय शासन में नगर निगम के करीब 4 हजार के लगभग कर्मचारी हैं।इनके आवास शहर भर में यत्र-तत्र हैं। इसके बाद भी नगर निगम नागरिकों से शिकायत एवं समस्या की अपेक्षा रखता है जो एक बेमानी ही कही जाएगी। सामान्य समस्या एवं शिकायत को लेकर नगर निगम को पहल करना चाहिए की अपने काम के लिए कर्मचारी ही समस्या एवं शिकायत को इंद्राज करें एवं नगर निगम के काम को और अधिक गुणवत्तापूर्ण करें। इससे नगर निगम के कर्मचारियों की जागरूकता भी सामने आएगी एवं सक्रियता का अंदाजा भी होगा। आम नागरिक अपनी व्यक्तिगत समस्या को इंद्राज करवाए। सेवानिवृत्त अधिकारी का कहना है कि व्यवस्थागत स्ट्रीट लाईट सफाई ये समस्याएं कर्मचारियों को जिम्मेदारी के साथ मिलना चाहिए। किसी भी क्षेत्र में स्ट्रीट लाईट बंद रहने पर वहां के निवासी एवं कर्मचारी के साथ सफाई के कर्मचारियों की शिकायत पर तत्काल दुरूस्त की जाए।यही स्थिति सफाई में भी लागू करें । इसके बाद भी अगर इसे लेकर आमजन शिकायत करता है तो उस क्षेत्र के कर्मचारी एवं सफाई कर्मचारी की निष्क्रियता में इसे शामिल किया जाए। इससे नगर निगम के कर्मचारियों की शहर के प्रति जिम्मेदारी भी बढेगी और नागरिकों को बेहतर सेवा मिल पाएगी।
