उज्जैन। अब हर कोई परिवार मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में शामिल होकर उसमें मिलने वाली राशि और सामान के मजे नहीं ले सकेगा। इसमें अब मात्र बीपीएल कार्ड राशन और अन्य योजनाओं के मजे लेने वाले ही मजे ले सकेंगे। मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में अब सात फेरे में भी बीपीएल कार्ड आवश्यक हो गया है। इस कारण से कईयों की शादी में दिक्कत आ रही है मुख्यमंत्री विवाह / कन्यादान योजना में अब सात फेरे लेने के नियमों में शासन ने बड़ा बदलाव किया है। नई गाइड लाइन के मुताबिक इस योजना में सिर्फ बीपीएल परिवार की कन्या ही भाग ले पाएगी। जबकि, अब तक किसी भी श्रेणी का परिवार योजना में शामिल होकर लड़के-लड़की का विवाह करा सकता था। स्थिति यह बन रही है कि इसका आयोजन करने के लिए कम कम 11 जोड़ो की जरुरत इस योजना में होती है। इसके चलते प्रशासनिक स्तर पर भी इतने जोडों को जुटाने में अब पसीने छूट रहे हैं। इसी कारण से देव उठनी पर इस बार मुख्यमंत्री कन्यादान योजना की शहनाई नहीं बज सकी।
बीपीएल कार्ड आवश्यक-मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में सरकार द्वारा 55 हजार रुपए दिए जाते है। इसमें कन्या के खाते में सीधे 49 हजार रुपए जाते है। वहीं, 6 हजार रुपए आयोजनकर्ता के खाते में जाते है। सामाजिक न्याय विभाग ने वर्ष 2025-26 के लिए योजना की गाइड लाइन बदली है। जिसके अनुसार सामूहिक विवाह सम्मेलन में शामिल होने वाली वधु का बीपीएल कार्ड होना अनिवार्य किया गया है। जिसके चलते सिर्फ गरीबी रेखा से नीचे वाले परिवार ही इसका लाभ ले पाएंगे। साथ ही इस योजना में पात्रता के लिए वधू का मप्र की मूल निवासी होना जरूरी है।
देव उठनी पर नहीं हो सके आयोजन-मुख्यमंत्री कन्यादान विवाह योजना के तहत सामाजिक संस्थाएं सामूहिक विवाह / निकाह का आयोजन कराती थी। पिछले साल से सामाजिक न्याय विभाग ने इसमें बदलाव करते हुए सिर्फ शासकीय एजेंसियों को ही अधिकृत किया है। जिसमें नगरीय निकाय में नगर निगम, नगर परिषद और ग्रामीण क्षेत्र में से जनपद पंचायत के तहत ही आयोजन होंगे। सामाजिक संस्थाओं को भी इसी में शामिल होना होगा। सामूहिक विवाह चार तिथि देवउठनी एकादशी, बसंत पंचमी, अक्षय तृतीया और एक जिला प्रशासन स्तर पर तय की जाती है। बताया जा रहा है कि बीपीएल की पात्रता के नियम के चलते इस बार देवउठनी एकादशी पर किसी भी निकाय या जनपद ने सामूहिक विवाह का आयोजन नहीं किया जा सका। खास यह है कि चार तिथियों में से जिले में सभी निकाय हो या सभी जनपद कुल 200 विवाह ही किए जा सकेंगे। जानकारी के अनुसार संबंधित एजेंसी को यह विवाह करवाने के लिए कम से कम 11 जोडे की जरुरत होती है। लेकिन, देव उठनी ग्यारस पर स्थिति यह बनी कि जिले में न तो निकाय और न ही जनपदों को 11जोडे भी नहीं मिल पाए।इसी के कारण से मुख्यमंत्री कन्यादान योजना का आयोजन जिले में शासकीय स्तर पर नहीं हो सका।
बीपीएल नहीं होने से वंचित हुए गरीब-महत्वपूर्ण बात यह है कि कम बजट में भी शादी की जाए तो खर्च लाखों तक पहुंचता है। कई मध्यमवर्गीय के साथ गरीब परिवार भी है, जिनके पास बीपीएल कार्ड नहीं है। जिसके कारण वह इस योजना का लाभ नहीं ले पा रहे।
योजना के लिए पात्रता…वधू या अभिभावक मप्र के मूल निवासी होने चाहिए। कन्या ने विवाह के लिए न्यूनतम वैधानिक आयु 18 वर्ष पूर्ण कर ली हो। * सामूहिक विवाह में शामिल होने वाले वर-वधू के घर में शौचालय निर्मित होकर निरंतर उपयोग में होना चाहिए। शौचालय नहीं है तो वर पक्ष को विवाह के बाद तीन माह के भीतर शौचालय बनवाना अनिवार्य है। बीपीएल कार्ड धारी वाले सामान्य, अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के परिवार पात्र रहेंगे।
-बीपीएल परिवार की कन्या होना आवश्यक किया गया है। अधिकतम एक बार के आयोजन में 200 जोडे ही शामिल हो सकेंगे। इसकी संख्या निर्धारित की गई है।
-सतीश कुमार ,सहायक संचालक,सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता,उज्जैन
