उज्जैन। अब रिटायर होने वाले पुलिसकर्मियों को परोपकार योजना का फायदा नहीं मिलेगा। यानी विभाग की तरफ से दी जाने वाली परोपकार निधि की सहायता उन्हें नहीं मिलेगी। पुलिस मुख्यालय ने आदेश जारी किया है। पुलिस मुख्यालय में इस बदलाव को लेकर कहा है कि तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी, जिनकी सेवानिवृत्ति के 2 साल बाद उनकी मौत होती है, उन्हें भी 1 लाख रुपए की पात्रता है।
इस विषय में बदलाव करते हुए कहा गया है कि परोपकार निधि योजना 2025 के अंतर्गत पात्रता में सेवानिवृत्ति के बाद परोपकार निधि न दिए जाने का प्रस्ताव जारी किया गया है। पिछले दिनों आला अफसरों ने फैसला लिया था कि परोपकार निधि के तहत सेवारत पुलिसकर्मी की मृत्यु होने पर परिजनों को एक के बजाय पांच लाख दिए जाएंगे। इसमें फंड की कमी आने की संभावना देखते हुए रास्ता खोजा गया। कमलनाथ सरकार ने अगस्त 2019 में पुलिस समेत अन्य विभागों के कर्मचारियों की रिटायरमेंट आयु 60 से बढ़ाकर 62 कर दी थी।
तब प्रचलित नियम के अनुसार पुलिस महकमे में परोपकार की राशि रिटायरमेंट के दो साल बाद तक यानी 64 साल की आयु तक दी जा रही थी। रिटायरमेंट की आयु 60 वर्ष थी तब 62 वर्ष की आयु तक के रिटायर कर्मी इसके पात्र थे। लिहाजा इस नियम में संशोधन करते हुए दो साल की अवधि को घटा दिया गया। ऐसे में नया नियम बनाकर रिटायर कर्मचारियों को इसके दायरे से बाहर कर दिया गया। दरअसल मध्य प्रदेश में अभी तक पुलिसकर्मियों के रिटायरमेंट के 2 साल के बाद मौत होने पर परोपकार के तौर पर 1 से 5 लाख रुपए के परिजनों को दिया जाता था लेकिन अब यह निधि की राशि नहीं दी जाएगी। इसके लिखित आदेश पीएचक्यू ने सभी यूनिटों को जारी कर दिए हैं। परोपकार निधि के तहत रिटायरमेंट के दो सालों के भीतर तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के जिन भी कर्मचारियों की मृत्यु रिटायारमेंट के दो साल के भीतर होती है, उनके परिजनों को एक लाख रुपए की राशि दी जाती थी। हाल ही में परोपकार निधि योजना में बदलाव करते हुए ये फैसला लिया गया है कि अब ये सुविधा किसी भी रिटायर कर्मचारी को नहीं दी जाएगी। एक अक्टूबर से रिटायर कर्मचारी परोपकार निधि से बाहर हो गए हैं। स्पेशल डीजी कल्याण एवं महिला सुरक्षा अनिल कुमार का कहना है कि परोपकार राशि को बढ़ाने के लिए नए नियम 1 अक्टूबर से लागू हो गए हैं। अब रिटायर कर्मचारी इसके दायरे में नहीं आएंगे।
