उज्जैन । रविवार को अपरांह् में राष्ट्र सेविका मालवा प्रांत का पथ संचलन निकाला गया। पथ संचलन में शामिल राष्ट्र सेविकाएं हाथों में दंड लिए चल रही थी। उनकी कदमताल में अनुशासन, शक्ति एवं संस्कारों का संगम दिखाई दे रहा था। शहर में निकले पथ संचलन का कई स्थानों पर स्वागत किया गया। पथ संचलन के पूर्व मुख्य वक्ता के रूप में प्रांत शारीरिक प्रमुख सुश्री निधि शर्मा ने उपस्थित राष्ट्र सेविका बहनों को संबोधित किया। राष्ट्र सेविका समिति द्वारा आयोजित पथ संचलन क्षीरसागर गांधी बाल उद्यान से अपरांह् में प्रारंभ हुआ । पथ संचलन चरक भवन के पास से होते हुए , चामुंडा माता, देवासगेट, मालीपुरा, दौलतगंज, फव्वारा चौक, एटलस चौराहा से नई सड़क, क्षीरसागर घाटी, मानस भवन से होते हुए पुनः क्षीरसागर उद्यान पर समापन हुआ।उज्जैन महानगर, कार्यवाहिका दीपा पांडे ने बताया कि कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधानमंत्री उत्कृष्ट शासकीय महादेव महाविद्यालय में इतिहास विभाग की विभागाध्यक्ष श्रीमती अर्चना दुभाषे द्वारा की गई। पथ संचलन में बड़ी संख्या में समिति की बहनें शामिल हुई।
राष्ट्र सेविका समिति 90 वर्ष की- सुश्री निधि शर्मा
राष्ट्र सेविका समिति द्वारा आयोजित पथ संचलन में मुख्य वक्ता के रूप में प्रांत शारीरिक प्रमुख सुश्री निधि शर्मा ने उपस्थितों को संबोधित करते हुए कहा कि संचलन सामूहिक शक्ति के प्रदर्शन का प्रतीक है, विजयादशमी के उपलक्ष में हमारा संचलन निकल रहा है। यह वर्ष हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ जिसकी स्थापना पूजनीय हेडगेवारजी ने 1925 में की, संघ के 100 वर्ष पूर्ण हुए हैं। जिनसे प्रेरणा प्राप्त कर वंदनीय लक्ष्मी बाई केळकर द्वारा मातृ शक्ति के बीच राष्ट्र सेविका समिति जैसे संगठन की स्थापना की । राष्ट्र सेविका समिति को 90 वर्ष पूर्ण होने वाले हैं। । इस हेतु से यह वर्ष हमारे लिए महत्वपूर्ण है , संघ का विचार राष्ट्र का विचार है इस विषय के पूर्व राष्ट्र को हमको समझना पड़ेगा। श्रीमती शर्मा ने कहा कि, राष्ट्र सेविका समिति का उद्देश्य व्यक्तित्व का निर्माण है, व्यक्तित्व का निर्माण इसलिए ज्यादा आवश्यक है कि जैसा हम अपने देश को बनाना चाहते हैं वैसा ही व्यक्तियों का निर्माण करें। हम कैसा देश चाहते हैं हम ऐसा देश चाहते हैं जो वैज्ञानिक दृष्टि से, तकनीकी दृष्टि से आर्थिक दृष्टि से, कृषि की दृष्टि से और चरित्र की दृष्टि से विशेषकर संवेदनाओं की दृष्टि से श्रेष्ठ बनें। व्यक्ति के निर्माण में महिलाओं की विशेष भूमिका होती है, महिलाएं ही राष्ट्र की आधार शक्ति होती हैं महिलाएं चाहे तो समाज को श्रेष्ठ बना सकती हैं, राष्ट्र को उस स्तर तक पहुंचा सकती है कि विश्व का प्रत्येक देश उससे प्रेरणा लेकर उस मार्ग पर चल सके।
