ब्रह्मास्त्र नई दिल्ली
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने सोमवार को कहा कि भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतें अगले चार से छह महीनों में पेट्रोल चालित वाहनों के बराबर हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि देश की जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता आर्थिक रूप से भारी बोझ है, क्योंकि हर साल ईंधन आयात पर लगभग 22 लाख करोड़ रुपये खर्च होते हैं, साथ ही यह पर्यावरण के लिए भी हानिकारक है। इस परिप्रेक्ष्य में स्वच्छ ऊर्जा को अपनाना भारत की प्रगति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
गडकरी ने यह बात 20वें एफआईसीसीआई हाईयर एजुकेशन समिट 2025 को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि अगले चार से छह महीनों में इलेक्ट्रिक वाहनों की लागत पेट्रोल वाहनों के बराबर हो जाएगी। उन्होंने आगे यह भी बताया कि भारत की आॅटोमोबाइल इंडस्ट्री को अगले पांच वर्षों में विश्व की नंबर एक इंडस्ट्री बनाने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने परिवहन मंत्री का कार्यभार संभाला था, उस समय भारत की आॅटोमोबाइल इंडस्ट्री का आकार 14 लाख करोड़ रुपये था, जो वर्तमान में 22 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। उन्होंने तुलना करते हुए कहा कि फिलहाल अमेरिका की आॅटोमोबाइल इंडस्ट्री का आकार 78 लाख करोड़ रुपये है, चीन का 47 लाख करोड़ रुपये और भारत का 22 लाख करोड़ रुपये है। इस वृद्धि को उन्होंने देश की आॅटोमोबाइल उद्योग में निरंतर विकास और निवेश की दिशा में सकारात्मक संकेत बताया। नितिन गडकरी ने यह भी कहा कि किसानों को कॉर्न से एथेनॉल उत्पादन के माध्यम से अतिरिक्त 45,000 करोड़ रुपये की आय हुई है, जिससे कृषि और ऊर्जा क्षेत्र में नई संभावनाओं का सृजन हुआ है। उन्होंने इस अवसर पर यह भी जोर दिया कि भारत को ाङ्म२२्र’ ा४ी’२ पर निर्भरता कम करनी होगी और इलेक्ट्रिक वाहनों के व्यापक उपयोग से ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण दोनों को सुनिश्चित किया जा सकता है। गडकरी ने कहा कि भारत की आॅटोमोबाइल इंडस्ट्री ने हाल के वर्षों में उल्लेखनीय प्रगति की है। इसके साथ ही उन्होंने वैश्विक स्तर पर भारत को आॅटोमोबाइल उत्पादन और निर्यात में शीर्ष स्थान दिलाने का लक्ष्य साझा किया। उन्होंने कहा कि भारत में अब आॅटोमोबाइल उद्योग का आकार 22 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है, जो निरंतर वृद्धि की ओर संकेत करता है।
