एमवाय हॉस्पिटल चूहाकांड: डीन और अधीक्षक दोषी, बिना काम के करोड़ों का भुगतान — रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश

एमवाय हॉस्पिटल चूहाकांड: डीन और अधीक्षक दोषी, बिना काम के करोड़ों का भुगतान — रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश

इंदौर के एमवाय अस्पताल में चूहे के काटने से दो नवजात बच्चों की मौत के मामले में एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया और एमवाय अस्पताल अधीक्षक डॉ. अशोक यादव को जांच समिति ने दोषी ठहराया है।
जांच आयुष्मान भारत के सीईओ डॉ. योगेश भरसट की अध्यक्षता वाली कमेटी ने की और रिपोर्ट 8 अक्टूबर 2025 को हाईकोर्ट इंदौर खंडपीठ में सबमिट की गई है।


⚠️ जांच में बड़ा खुलासा: बिना काम के करोड़ों का भुगतान

कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार, एमवाय अस्पताल में साफ-सफाई, पेस्ट और रोडेंट कंट्रोल की जिम्मेदारी डीन और अधीक्षक की थी।
आउटसोर्स कंपनी एजाइल पेस्ट कंट्रोल को करोड़ों का भुगतान बिना काम के और बिना सत्यापन के किया गया।

डीन और अधीक्षक ने जांच समिति को न तो भुगतान के दस्तावेज दिए और न ही नोटशीट।
बार-बार रिमाइंडर भेजे जाने के बाद भी अस्पताल प्रशासन ने कंपनी को किए गए भुगतान की जानकारी छिपाई।


🐀 NICU में चूहे, फिर भी नहीं हुआ एक्शन

रिपोर्ट में कहा गया कि 7 जनवरी 2025 को NICU इंचार्ज सिस्टर कलावती भलावे ने प्रबंधन को चूहों की समस्या पर पत्र लिखा था।
इसके बावजूद किसी ने ध्यान नहीं दिया।

चूहों के काटने से पहली मौत के बाद भी एजाइल कंपनी ने कोई एक्शन नहीं लिया।

समिति के अनुसार, “अगर कंपनी ने समय पर कदम उठाया होता, तो दूसरी घटना टल सकती थी।”


🩺 डॉक्टरों ने भी बरती लापरवाही

दोनों नवजातों की मौत के बाद वरिष्ठ डॉक्टरों ने बच्चों का परीक्षण नहीं किया, बल्कि केवल रेजीडेंट डॉक्टरों ने देखा।
समिति ने माना कि इस पूरी घटना में अस्पताल प्रबंधन पूरी तरह विफल रहा।

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