उज्जैन। मध्यप्रदेश में अगर पहाड़ नहीं होते तो लोग बारिश को तरस जाते। सुनने में अटपटा लग रहा है, लेकिन सच है। दरअसल, राजस्थान से लेकर उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के 3 पहाड़ बारिश कराते हैं। राजस्थान के अरावली से लेकर उत्तर में विंध्याचल और सतपुड़ा पर्वत मध्यप्रदेश में मानसून को लॉक करते हैं। इन्हीं पहाड़ों की वजह से मध्यप्रदेश में बारिश होती है। वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक वेद प्रकाश बता चुके है कि आखिर प्रदेश में कहीं कम तो कहीं ज्यादा बारिश क्यों होती है?। इन पहाड़ों का इससे क्या संबंध है?
मध्यप्रदेश में दो सिस्टम कराते हैं बारिश
वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक वेद प्रकाश कहते हैं, मध्यप्रदेश में अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से आने वाले सिस्टम बारिश कराते हैं। अरब सागर से बारिश इंदौर से लेकर उज्जैन और ग्वालियर चंबल के कुछ इलाकों में बारिश कराता है, जबकि बंगाल की खाड़ी से प्रदेश भर में बारिश होती है। अरब सागर से आने वाली मानसूनी हवाएं खरगोन-बड़वानी जिले के रास्ते मालवा-निमाड़ में प्रवेश करती हैं। यह आगे बढ़ती हैं, तो अरावली पर्वत के सहारे दिल्ली की तरफ चली जाती हैं।
अरब सागर के मानसून से ही मालवा-निमाड़ में बारिश होती है। इसी कारण अलीराजपुर, झाबुआ और आगर में या तो सामान्य से कम बारिश होती है या फिर ज्यादा बारिश होती है। अधिकांश तौर पर यहां जुलाई-अगस्त में ही अधिकतम बारिश हो जाती है। इससे श्योपुर, नीमच, मंदसौर, रतलाम और बुरहानपुर में जमकर पानी गिरता है। उज्जैन और इंदौर में सामान्य बारिश होती है। अगर अरावली पर्वत नहीं होता तो अरब सागर से आने वाली मानसूनी हवाएं सीधे निकल जातीं। यह इलाके सूखे रह जाते।
सतपुड़ा-विंध्याचल पहाड़ी के कारण भोपाल में अधिक बारिश
वेद प्रकाश कहते हैं, मध्यप्रदेश का मध्य भाग में अरब-सागर और बंगाल की खाड़ी दोनों ही सिस्टम बारिश कराते हैं। सतपुड़ा पर्वत और विंध्याचल के कारण बंगाल की खाड़ी से आने वाला मानसून यहां लॉक हो जाता है। मानसूनी हवाएं बैतूल के रास्ते प्रदेश में प्रवेश करती हैं। यह मंडला, डिंडोरी से लेकर जबलपुर, पचमढ़ी, छिंदवाड़ा, नर्मदापुरम और भोपाल तक बारिश करती हैं। अपेक्षाकृत हरदा निचला इलाका होने के कारण यहां अलग परिस्थिति बनने पर ही बारिश होती है। भोपाल में सबसे ज्यादा बारिश का मुख्य कारण अरब और बंगाल से आने वाले दोनों सिस्टम हैं। भोपाल में वाटर बॉडी बहुत ज्यादा हैं। लोकल सिस्टम बनने से भी अधिक बारिश का क्षेत्र बनता है।
सतपुड़ा-विंध्याचल पहाड़ी के कारण भोपाल में अधिक बारिश
वेद प्रकाश कहते हैं, मध्यप्रदेश का मध्य भाग में अरब-सागर और बंगाल की खाड़ी दोनों ही सिस्टम बारिश कराते हैं। सतपुड़ा पर्वत और विंध्याचल के कारण बंगाल की खाड़ी से आने वाला मानसून यहां लॉक हो जाता है। मानसूनी हवाएं बैतूल के रास्ते प्रदेश में प्रवेश करती हैं। यह मंडला, डिंडोरी से लेकर जबलपुर, पचमढ़ी, छिंदवाड़ा, नर्मदापुरम और भोपाल तक बारिश करती हैं। अपेक्षाकृत हरदा निचला इलाका होने के कारण यहां अलग परिस्थिति बनने पर ही बारिश होती है। भोपाल में सबसे ज्यादा बारिश का मुख्य कारण अरब और बंगाल से आने वाले दोनों सिस्टम हैं। भोपाल में वाटर बॉडी बहुत ज्यादा हैं। लोकल सिस्टम बनने से भी अधिक बारिश का क्षेत्र बनता है।
ग्वालियर-चंबल और बघेलखंड
ग्वालियर-चंबल और बघेलखंड के अधिकांश इलाकों में बंगाल की खाड़ी से बारिश होती है। यहां के लिए विंध्याचल पर्वत प्रभावित करता है। इसके कारण ग्वालियर, निवाड़ी, टीकमगढ़, शहडोल, सीधी, रीवा, कटनी और दतिया में बहुत कम बारिश होती है। यहां सामान्य से कम बारिश होती है।
