खुसुर-फुसूर
हे भगवान इन्हें …
राम…राम…राम भगवान के मंदिर में भक्तों के साथ ऐसी ठगी। मालवा का मानुष वैसे तो संतुष्ट कहलाता है लेकिन जो कुछ सामने आते जा रहा है वह इस बात को सिरे से झुठला रहा है। आदर्श स्थापित करन वाले ही दर्शन के नाम पर भक्तों को छलने लुटने में लगे हैं। समिति और वर्दी सिरे से पर्दाफाश करने में लगी है। खुलासे ऐसे ऐसे बताए जा रहे हैं जिन्हें सूनने के बाद और चौराहों की चर्चा जानने के बाद तो भरोसा ही उठता जा रहा है। मिडिया में जो कुछ सामने आ रहा है उसे जानने के बाद तो शर्मसार होने के हाल हो गए हैं। अब तक पिंडदान वाले स्थान के कर्म करने वालों को ही अलग नजरिये से देखा जाता था अब यहां के लिए भी वही नजरिया बनने लगा है। शहर को आर्थिक आधार तीर्थटन से मिला था लेकिन लालच और बद् नीयती ने इसे भी कलंकित कर दिया। देश भर से आने वाले श्रद्धालु जिसकी एक झलक के लिए कुछ भी करने और देने को तैयार हैं उनकी समीपता से भी इन लालचियों का मन नहीं भरा और अर्थ के फेर में अपनी आत्मा को भी बेच दिया। धर्म,कर्म,न्याय की धरा को भी कलंकित करने से बाज नहीं आए। खुसुर-फुसूर है कि पूरे मामले में अब तो सिरे से ही जांच होना चाहिए और मंदिर में सख्ती का वो अंजाम किया जाना चाहिए की यहां पंक्षी भी पर फडफडाए तो उसकी आवाज भी सार्वजनिक हो जाए। पूर्व में भी दान की गणना में चोरी होने के मामले ने ऐसे ही सवाल खडे किए थे। मंदिर में तांबा कांड,अन्न कांड जैसे कई कांड अब तक हो चुके हैं अब बस हुआ।