इंदौर के जन्म का पेंच और उलझा

3 मार्च को मनाया जाता है स्थापना दिवस, ताई ने पहले दी थी 31 मई और अब दे दी नई तारीख 20 जनवरी

ब्रह्मास्त्र इंदौर। मध्य प्रदेश की औद्योगिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर का जन्म कब हुआ था? इसको लेकर पूर्व लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन जिन्हें लोग आदर से ताई कहते हैं के पत्र से और उलझ गया है। कुछ लोग चाहते हैं कि राजमाता देवी अहिल्या का जन्म 31 मई को हुआ था इसलिए इंदौर का जन्मदिन उसी तारीख पर मनाया जाए, परंतु इसके बहुत पहले इंदौर की स्थापना राव नंदलाल मंडलोई द्वारा 3 मार्च 1716 को हुई थी। नंदलालपुरा उन्हीं के नाम पर बसा हुआ है। इसलिए उन्हीं के वंशज जमींदार परिवार तथा अन्य कई लोग भी मानते हैं कि 3 मार्च को इंदौर की स्थापना हुई थी। जमींदार परिवार तो हर साल इंदौर की स्थापना का दिवस 3 मार्च को मनाता भी आ रहा है। ताई ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में अब नई तारीख 20 जनवरी दी है। उनका कहना है कि मुगल सल्तनत से इसी दिन इंदौर मुक्त हुआ था। इंदौर के जन्म को लेकर कुल मिलाकर पेच फंस गया है।
मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में ताई ने तर्क दिया कि छत्रपति साहू की अनुशंसा पर पेशवा ने 1734 ईसवी में 20 जनवरी को दौलत शाही परगनों की नई सनद लिखी थी। इसमें मालवा सहित इंदौर (इंदूर) की खासगी जागीर सूबेदार मल्हारराव होलकर की पत्नी गौतमा बाई के नाम पर कर दी थी। यह ऐतिहासिक दिन था, जब इंदौर मुगलिया सल्तनत के आधिपत्य से मुक्त होकर होलकरों के पास आ गया था। इसका महत्व वैसा ही है, जैसा 15 अगस्त 1947 का है। ताई ने शहर के कई इतिहासकारों व साहित्यकारों से लंबी चर्चा के आधार पर ही यह तारीख तय की है। ताई ने साथ ही में जिस दिन राजबाडा की नींव रखी गई थी, उस दिन भी गौरव दिवस मनाने का सुझाव दिया था।
इसके पूर्व 12 फरवरी को इस मामले में गठित समिति की बैठक हुई थी। इसमें जनप्रतिनिधियों ने इंदौर गौरव दिवस लोकमाता अहिल्याबाई होलकर के जन्मदिन 31 मई को मनाने की बात कही थी। कई जनप्रतिनिधियों ने इंदौर का नाम बदलकर देवी अहिल्या माता रखने का सुझाव दिया था। जिसे लेकर वरिष्ठ नेता सत्यनारायण सत्तन मुखर हो गए थे। उन्होंने दो टूक कहा था कि इंदौर का नाम बदलना यानी अपने माता-पिता का नाम बदलने जैसा है।

राव नंदलाल मंडलोई ने 1716 में बसाया था इंदौर

यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या इंदौर बसने के 34 वर्ष बाद इंदौर का पुनः जन्म हुआ था? इंदौर की स्थापना सन 1700 में राव राजा राव नंदलाल मण्डलोई ने की थी। यह ऐतिहासिक तथ्य है। 3,मार्च,1716 के दिन इंदौर में करमुक्त व्यापार की शुरुआत हुई थी। इंदौर का स्थापना दिवस राजवंश मंडलोई परिवार यानी जमींदार परिवार हर वर्ष मनाता है।