दस्तक अभियान 25 जून से 27 अगस्त तक

 

 

उज्जैन। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.अशोक कुमार पटेल ने बताया कि बाल मृत्यु प्रकरणों में कमी लाने के उद्देश्य से विभाग द्वारा प्रतिवर्ष महिला एवं बाल विकास विभाग के समन्वय से दस्तक अभियान संचालित किया जाता है। यह अभियान वर्ष में दो बार (अधिकतम छह माह तथा न्यूनतम चार माह के अंतराल में) आयोजित किया जाता है। अभियान के प्रथम चरण में पांच वर्ष की चिकित्सकीय जांच कर बीमारियों की पहचान एवं त्वरित उपचार/प्रबंधन पर बल दिया जाता है। इसी तारतम्य में वर्ष 2024-25 में दस्तक अभियान के प्रथम चरण 25 जून से 27 अगस्त की अवधि में आयोजित किया जायेगा। इस दौरान स्वास्थ्य एवं महिला बाल विकास विभाग के मैदानी कार्यकर्ताओं के संयुक्त दल द्वारा पांच वर्ष तक के बच्चों के घर-घर जाकर उनकी चिकित्सकीय जांच एवं आवश्यक उपचार/प्रबंधन सुनिश्चत करने हेतु गतिविधियां संचालित की जायेंगी।

 

इसमें समुदाय में बीमार नवजातों और बच्चों की पहचान प्रबंधन एवं रेफरल, पांच वर्ष से कम उम्र के गंभीर कुपोषित बच्चों की सक्रिय पहचान रेफरल एवं प्रबंधन, छह माह से पांच वर्ष तक के बच्चों में गंभीर एनीमिया की सक्रिय स्क्रीनिंग एवं प्रोटोकाल आधारित प्रबंधन, नौ माह से पांच वर्ष तक के समस्त बच्चों को आयु अनुरूप विटामीन ‘ए’ अनुपूरण, पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में बाल्यकालीन दस्त रोग की पहचान एवं नियंत्रण हेतु ओआरएस एवं जिंक के उपयोग संबंधी सामुदायिक जागरूकता में बढ़ावा एवं प्रत्येक घर में गृह भेंट के दौरान (सघन दस्त रोग पखवाड़ा आई.डी.सी.एफ. गतिविधि आयोजन) ओआरएस पहुंचाना, पांच वर्ष से कम उम्र के रेफरल बच्चों में शैशव एवं बाल्यकालीन निमोनिया की त्वरित पहचान प्रबंधन एवं रेफरल, बच्चों में दिखाई देने वाली जन्मजात विकृतियों एवं वृद्धि विलंब की पहचान एवं उनका आरबीएसके कार्यक्रम से संबद्धीकरण करना, पांच वर्ष तक की आयु वाले बच्चों में श्रवणबाधिता एवं दृष्टिदोष की पहचान/पुष्टि कर आरबीएसके कार्यक्रम में पंजीयन कर उपचारित कराना, समुदाय में समुचित शिशु एवं बाल आहार-पूर्ति संबंधी समझाईश समुदाय देना, एसएनसीयू एवं एनआरसी से छुट्टी प्राप्त बच्चों में बीमारी की स्क्रीनिंग तथा फॉलोअप को प्रोत्साहन, गृह भेंट के दौरान आंशिक रूप से टीकाकृत एवं छूटे हुए बच्चों की टीकाकरण स्थिति की जानकारी लेना आदि शामिल है।