अब महाकाल ज्योतिर्लिंग के रुद्रसागर  की तरफ से भी शिखर दर्शन हो जाएंगे, मंदिर समिति ने देवास धर्मशाला को हटाया   

 

 

 

दैनिक अवंतिका उज्जैन। 

देशभर से उज्जैन आने वाले हजारों श्रद्धालुओं को अब रुद्रसागर की तरफ से भी ज्योतिर्लिंग महाकाल के शिखर दर्शन हो सकेंगे। क्योंकि मंदिर प्रबंध समिति ने परिसर में स्थित देवास धर्मशाला को पूरी तरह से हटा दिया है। 

धर्मशाला बीच में आने से शिखर दर्शन में बाधा आ रही थी। लेकिन अब इसके हटने के बाद बीच में कोई भवन सामने नहीं रहेगा। पूर्व में कोटितीर्थ कुंड के पास बनी प्राचीन देवास धर्मशाला के पुराने भवन को अब जाकर मंदिर प्रबंध समिति ने हटााया। इसके कुछ हिस्से को पहले हटाने की कार्रवाई की गई थी। महाकाल मंदिर विस्तार योजना के तहत 16.10 करोड़ रुपए में रुद्रसागर शिखर दर्शन परियोजना बनाई गई है। जिसके चलते ही धर्मशाला हटाकर अब शिखर दर्शन की सीधे व्यवस्था कर दी गई है। 

अब इस जगह पर कोई नया निर्माण नहीं करेंगे 

महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल ने बताया कि शिखर दर्शन आसान हो सकें, इसके लिए पुराने भवन व धर्मशाला आदि को हटाया गया है। उनके स्थान पर अब भविष्य में कोई भी नया निर्माण नहीं किया जाएगा। ऐसे में पर्व, त्योहार, नव वर्ष के दौरान लाखों की संख्या में उज्जैन आने वाले श्रद्धालुओं को रुद्रसागर की तरफ से भी आसानी से शिखर दर्शन करने का लाभ मिलेगा। 

मंदिर के पुजारी बोले- शिखर दर्शन से पापों का नाश होता है 

महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के सदस्य एवं पुजारी प्रदीप गुरु ने इस संबंध में कहा कि हमारे सनातन धर्म में कहा गया है कि  शिखर दर्शनम् पाप नाशनम् यानी किसी भी मंदिर के शिखर के दर्शन करने भर से सभी पापों का नाश हो जाता है। ऐसा मानकर बड़ी संख्या में श्रद्धालु प्रतिदिन उज्जैन में महाकाल जी के शिखर दर्शन ही करने आते हैं। अब मंदिर की चारों दिशाओं से महाकाल के शिखर दर्शन किए जा सकेंगे।

जाने क्या है शिखर दर्शन की पूरी योजना एक नजर में 

– इस कार्य की लागत 16.10 करोड़ रुपए है। निर्माण आदि का क्षेत्रफल 52,000 वर्ग फीट यह रहेगा।

– अब तक परिसर में कोटितीर्थ कुंड के पास प्रवचन हॉल और धर्मशाला की जगह पर शिखर दर्शन योजना के तहत नवनिर्माण किया है।

– हरसिद्धि, बड़ा गणेश मंदिर की ओर से आने वाले श्रद्धालु दूर से ही शिखर दर्शन का लाभ ले सकेंगे। 

– शिखर दर्शन के लिए एक प्लेटफार्म भी बनाया गया है जहां पर कोटितीर्थ कुंड के पास रेलिंग लगाई है। वहां तक दर्शनार्थी आकर शिखर दर्शन कर सकते हैं।

– इसमें पुजारी कक्ष, अतिथि कक्ष, भोग सामग्री के लिए रसोई कक्ष मीडिया कक्ष बन रहा है।