कांग्रेस नेता चिंटू चौकसे का आरोप : रिमूवल गैंग के कर्मचारियों को मिलिट्री जैसी ड्रेस पहनना सेना और देश का अपमान

नगर निगम में कारोड़ों का घोटाला, जांच के लिए गठित की गई उच्च स्तरीय समिति अब तक इंदौर नहीं आई

दैनिक अवन्तिका इंदौर

इंदौर नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे ने कहा कि नगर निगम के रिमूवल गैंग के कर्मचारियों को मिलिट्री जैसी ड्रेस पहनना सेना और देश का अपमान है। इस समय नगर निगम में मनमानी का आलम है इसी के तहत इस तरह के फैसले लिए जा रहे हैं। इस फैसले को तत्काल वापस लिया जाना चाहिए।
चौकसे ने यहां पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि नगर निगम के आयुक्त शिवम वर्मा के द्वारा निगम की रिमूवल गैंग के कर्मचारियों को मिलिट्री जैसी ड्रेस पहनने का ड्रेस कोड तय किया गया है। जो ड्रेस रिमूवल गैंग के कर्मचारियों के लिए तय की गई है उस ड्रेस को पहनकर मिलिट्री के जवान देश की रक्षा करते हैं। देश की सरहदों की सुरक्षा करते हैं। देश के नागरिकों को सुरक्षित जीवन जीने के लिए अनुकूल हालात उपलब्ध कराते हैं। ऐसे में भारतीय जनमानस के बीच में मिलिट्री की ड्रेस का बहुत सम्मान है। देश का नागरिक सैन्य बल को गौरव के साथ देखता है।

इस सैन्य बल की वर्दी को नगर निगम के रिमूवल गैंग के कर्मचारियों को पहनना मिलिट्री का और देश का अपमान है। देश गर्व कर सके ऐसा काम करने वाले सैनिकों की वर्दी छोटे-छोटे हितों और नियम के लिए तोड़फोड़ करने वाले कर्मचारियों को नहीं पहनाई जा सकती है। चौकसे ने कहा कि इस तरह की वर्दी किसी को भी पहनना आर्मी एक्ट के तहत अपराध है। इसके साथ ही इंडियन पैनल कोड की धारा 140 और 171 के तहत भी यह अपराध है। इस समय हमारे शहर में महापौर के पद पर न्यायपालिका के अच्छे जानकार पुष्यमित्र भार्गव हैं। उनके होते हुए नियम कानून का उल्लंघन करने वाला ऐसा मनमाना फैसला नगर निगम में हो गया और उसका क्रियान्वयन भी हो गया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि नगर निगम में इस समय मनमानी का आलम है। चाहे जो फैसला लिया जा रहा है और चाहे जो काम किया जा रहा है।

इसी घोटाले के कारण आयुक्त को हटाया
चौकसे ने आरोप लगाया है कि इंदौर नगर निगम की आयुक्त हर्षिका सिंह को यह घोटाला पकड़ लेने के कारण ही राज्य सरकार के द्वारा ताबड़तोड़ तरीके से इंदौर नगर निगम आयुक्त के पद से हटाया गया। इस मामले को पकड़ने के बाद हर्षिका सिंह के द्वारा इतनी ज्यादा लिखा पड़ी कर दी गई थी कि इस मामले को दबाना और छुपाना संभव नहीं था। यही कारण है कि बाद में इस मामले का मुकदमा पुलिस थाने में दर्ज करना पड़ा। चौकसे ने कहा कि जिस दिन तत्कालीन आयुक्त हर्षिका सिंह के द्वारा निगम के अपर आयुक्त सिद्धार्थ जैन को आज ही थाने में मुकदमा दर्ज करने की चेतावनी दी गई थी। उसी दिन ताबड़तोड़ तरीके से उनका तबादला किया गया। इसमें आश्चर्य की बात तो यह है कि बाद में नए आयुक्त शिवम वर्मा के द्वारा जांच कमेटी का प्रभारी भी सिद्धार्थ जैन को ही बना दिया गया।

उच्च स्तरीय कमेटियों की रिपोर्ट नहीं आती सामने
चौकसे ने कहा कि जब भी बड़ा घोटाला होता है अथवा बड़ी घटना होती है तो आरोपियों को बचाने के लिए भाजपा के नेता सक्रिय हो जाते हैं। उच्च स्तरीय जांच कमेटी बनती है तो उसकी रिपोर्ट सामने नहीं आती है और रिपोर्ट सामने आ जाती है तो उसमें घटना की पुनरावृत्ति रोकने के सुझाव के अलावा कोई जानकारी नहीं होती है। इंदौर में पटेल नगर में रामनवमी के दिन हुए हादसे में लोगों की जान चली गई लेकिन इस घटना के किसी भी दोषी पर आज तक कार्रवाई नहीं हो सकी। यह घटना भी वर्तमान परिषद के कार्यकाल की ही है।

कहां गई उच्च स्तरीय जांच समिति
चौकसे ने इंदौर नगर निगम में हुए करोड़ों रुपए के फर्जी फाइल घोटाले की चर्चा करते हुए कहा कि राज्य सरकार के द्वारा इस मामले की जांच के लिए गठित की गई उच्च स्तरीय समिति अब तक इंदौर नहीं आई है। इतना बड़ा घोटाला इंदौर में हुआ है उसके बावजूद सरकार इस मामले को गंभीरता से लेने के लिए तैयार नहीं है। नाम के लिए उच्च स्तरीय समिति बना दी गई है। यह समिति यदि गंभीर होती तो अब तक इंदौर आकर अपनी जांच कर चुकी होती। उन्होंने कहा कि इस घोटाले में इंदौर नगर निगम के अधिकारियों से लेकर भाजपा के बड़े नेता तक शामिल हैं। ऐसे में इस बात की उम्मीद बहुत कम है कि निष्पक्ष जांच हो सकेगी और दोषियों को दंडित किया जा सकेगा। चौकसे ने कहा कि इस मामले में राजनीतिक खेल कितना और किस तरह से हुआ है इसका अंदाजा तो इसी बात से लगाया जा सकता है कि निगम आयुक्त के पद पर शिवम वर्मा की पदस्थापना के पश्चात राजनीतिक दबाव में इस घोटाले के मास्टरमाइंड अभय राठौर को बिजली का काम दिया गया। यह काम कमाई वाला काम था इसलिए इस अधिकारी को सौपा गया। इसके पहले के आयुक्त के द्वारा इस अधिकारी के भ्रष्ट कारनामों को देखते हुए उसे इस तरह का कोई काम नहीं दिया गया था।