इंदौर में कांग्रेस प्रत्याशी के मैदान छोड़ने से फीका पड़ गया चुनाव

चुनावी संग्राम में शहर के गली-मोहल्लों में न हल्ला ,न बैनर, न पोस्टर 
 इंदौर। काफी राजनीतिक मंथन के बाद भाजपा ने इंदौर लोकसभा क्षेत्र से एक बार फिर शंकर लालवानी पर दांव खेला था, तब यह उम्मीद थी कि कांग्रेस से कड़ी न सही प्रतिस्पर्धा तो मिलेगी लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम के बीच चुनाव में रण छोड़ने से राजनीतिक माहौल ही उत्साहहीन हो गया। शहर के राजनीतिक इतिहास में यह पहला मौका है, जब किसी पार्टी ने महासमर से पहले ही मैदान खाली करवा कर जीत सुनिश्चित कर ली।
कांग्रेस के खिलाड़ी के हिट विकेट होते ही इस चुनावी संग्राम में इंदौर शहर के गली-मोहल्लों में हल्ला नहीं दिखाई दिया। कड़ी चुनौती न होने से पूरे चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा और कांग्रेस के किसी बड़े नेता की सभा यहां नहीं हुई है। हालत यह है कि कहीं बैनर ,पोस्टर और झंडे तक दिखाई नहीं दिए। भाजपा कार्यकर्ता भी घर में एसी और कूलर के बीच ठंडी हवा लेते नजर आए। संघ  ने तो जैसे मैदान ही छोड़ दिया। खुद भाजपा प्रत्याशी शंकर लालवानी भी सिर्फ प्रचार की औपचारिकता करते ही नजर आए हैं।
मुख्यमंत्री सिर्फ इंदौर चार में रोड शो कर लौट गए
मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव अवश्य इंदौर पहुंचे और रोड शो के माध्यम से क्षेत्र क्रमांक चार के मतदाताओं का अभिवादन कर लौट गए। पूरे चुनाव में न स्थानीय मुद्दे चर्चा में रहे, न ही राष्ट्रीय मुद्दों का बार-बार जिक्र हुआ।
कांग्रेस नोटा का आव्हान करती नजर आई
कांग्रेस को यह चिंता भी सताती रही कि कहीं उनके वोट भाजपा प्रत्याशी की जीत का अंतर न बढ़ा दें। इसलिए बार-बार मतदाताओं से नोटा के प्रयोग का आह्वान करते रहे। हालांकि इसे आंदोलन की शक्ल देने के प्रयास को कांग्रेस के ही बड़े नेताओं का समर्थन हासिल नहीं हो सका है। यह चुनाव न्यूनतम सक्रियता की वजह से भी याद रखा जाएगा।