उज्जैन की शिप्रा नदी में फिर हजारों  मछलियां मरने से पानी प्रदूषित हो गया

 

– दो-तीन दिन से घाटों पर बदबू फैल रही, प्रशासन के अफसर चुनाव में इतने व्यस्त हो गए कि कोई देखने वाला नहीं, आम लोग परेशान

 

दैनिक अवंतिका उज्जैन। 

उज्जैन की शिप्रा नदी में एक बार फिर हजारों की संख्या में मछलियां मरने से पानी प्रदूषित हो गया है। प्रमुख घाटों पर शिप्रा नदी का पानी बदबू मार रहा है। शिप्रा स्नान व घाटों पर पूजन-अर्चन के लिए आने वाले श्रद्धालु भी मछलियों की बदबू से परेशान हैं। मजे की बात यह है कि इतनी संख्या में मछलियां मरने के बाद भी प्रशासन ने कोई सुध नहीं ली। बताया जाता है कि प्रशासन के अफसर इन दिनों लोकसभा चुनाव में व्यस्त है। 

अफसरों की व्यस्तता के चलते आम लोगों की समस्या की तरफ कोई ध्यान देने वाला नहीं है। इसके चलते नदी में कई जगह तो ये मरी मछलियां तैरते हुए देखी जा सकती है तो कई जगह घाटों पर भी मछलियों के मरने के बाद कचरे की तरह ढेर लगे हुए है। पूरा क्षेत्र बदबू मार रहा है। शिप्रा में मछलियों के मरने की घटना सबसे ज्यादा नृसिंह घाट और गऊघाट के पास हुई है। इससे नदी का पानी भी प्रदूषित हो गया है। 

शिप्रा की हालत खराब, कई दिनों से 

गड़बड़ी, नाले तो कभी कचरा मिल रहा 

– उज्जैन में मोक्षदायिनी कही जाने वाली शिप्रा नदी की हालत इन दिनों ख़राब है। 

– कभी गंदे नाले मिल रहे तो कभी कचरे मिलने की घटना सामने आ रही। – हाल ही में हजारों की संख्या में मछलियां मरने की खबर है। 

– कुछ दिन पूर्व गंदे नाले का पानी मिलने पर कांग्रेस विधायक महेश परमार धरना देने घाट पर पहुंच गए थे।  

– विधायक परमार ने शिप्रा का पानी प्रदूषित होना बताया था। 

– बाद में सीएम मोहन यादव भी शिप्रा नदी के दत्त अखाड़ा घाट पर डुबकी लगाकर नदी के पानी को साफ बताने पहुंचे थे। 

– इन सब राजनीतिक घटनाक्रमों के बाद भी शिप्रा प्रदूषित ही दिख रही है। 

इंदौर की कान्ह नदी का पानी पहले से मिल 

ही रहा है, अब मछलियों की मरने की घटना 

इंदौर की कान्ह नदी का प्रदूषित पानी शिप्रा में त्रिवेणी के पास से पहले से ही मिल रहा है। और अब नरसिंह घाट पर पानी में मछलियां मरी दिखी है। गऊघाट पर भी मरी मछलियों का ढेर लगा हुआ है। हालात यह है कि घाटों के आसपास श्रद्धालुओं का बैठना, घूमना आदि मुश्किल हो रहा है। चुनावी दिनों में प्रशासन के अफसर भी इतने व्यस्त नजर आ रहा है कि शिप्रा की तरफ कोई देखने को तैयार नहीं है। 

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