शिप्रा में प्रदूषित पानी…प्रशासन की उड़ी नींद

 

उज्जैन शिप्रा नदी में मिलने वाले खान नदी के प्रदूषित पानी ने प्रशासन की एक बार फिर नींद उड़ा दी है। प्रदेश की डॉ. मोहन यादव सरकार भी इसके लिए गंभीर हो गई है। मुख्यमंत्री के एक्शन प्लान पर अब संभागायुक्त संजय गुप्ता ने मोर्चा संभाल लिया है। बुधवार सुबह उन्होंने घाट घाट पहुंचकर पूरी स्थिति देखी और पीएचई अधिकारियों से हर पॉइंट की डिटेल जानकारी ली। खास बात यह कि इस दौरे की खबर भी गोपनीय ही रखी गई।

शिप्रा नदी में मिलने वाले गंदे नाले और खान नदी के प्रदूषित पानी को रोकने के लिए अब तक जितने प्रयास किए गए, वे सभी कारगर साबित नहीं हो सके। सूत्रों के अनुसार सीएम डॉ. यादव ने हाल ही इसको लेकर प्रशासनिक अधिकारियों के प्रति नाराजी जताई और डेम बनाकर खान का गंदा पानी रोकने के निर्देश दिए हैं। बुधवार सुबह करीब 8 बजे से संभागायुक्त गुप्ता दौरे पर निकले और पीएचई तथा जल संसाधन विभाग के अफसरों के साथ त्रिवेणी से निरीक्षण शुरू किया। त्रिवेणी के बाद गऊघाट पर कचरा प्लांट के सामने सीवेज सिस्टम को देखा और सभी जानकारियां अफसरों से ली। यहां करीब एक घंटे तक निरीक्षण करने के बाद लालपुर आदि क्षेत्र का दौरा किया।

खामोशी के साथ दौरा, फोटो लेने से इंकार

कमिश्नर गुप्ता ने इस बार खामोशी के साथ दौरा किया। उन्होंने इसकी खबर ज्यादा नहीं की। पीएचई सहित जिम्मेदार अधिकारियों को साथ लिया और दौरा शुरू कर दिया। यहां तक कि मीडिया से भी उन्होंने दूरी बनाकर रखी। गऊघाट पर निरीक्षण का फोटो कवरेज करने पहुंचे एक मीडियाकर्मी को फोटो लेने से ही इंकार कर दिया गया। आमतौर पर अधिकारी शिप्रा नदी का दौरा करने से पहले मीडिया को भी सूचना देते हैं।

खस प्लांट पर सर्वे, चुनाव के कारण अधर में योजना

शिप्रा नदी में खस प्लांटेशन के माध्यम से कम खर्च में ही शिप्रा नदी को शुद्ध और साफ स्वच्छ करने की योजना भी है। हाल ही में एक संस्था ने खान बड़ोदिया तक नदी का सर्वे कर कलेक्टर को योजना प्रस्तुत की है, जिससे शिप्रा का पानी कम खर्च में ही साफ किया जा सकेगा। वर्तमान में लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के कारण यह योजना ठंडे बस्ते में है।

रामघाट और गऊघाट प्लांट पर तैनात रहा अमला

कमिश्नर के दौरे की खबर लगने के बाद पीएचई के इंजीनियर और अमला सुबह से अलर्ट मोड पर रहा। हालांकि कमिश्नर के लालपुल और भूखीमाता क्षेत्र का निरीक्षण करने निकल गए। रामघाट पर भी पीएचई के अधिकारी डटे रहे।

डेम बनाने की योजना

सूत्रों के अनुसार सरकार ने खान नदी के पास डेम बनाकर पानी को वहीं रोकने की योजना पर काम करने के निर्देश अधिकारियों को दिए हैं। त्रिवेणी तक दो या तीन डेम बनाकर पानी को शिप्रा में मिलने से रोकने की योजना पर काम चल रहा है। हालांकि जल संसाधन विभाग ने कान्ह डक्ट परियोजना के माध्यम से पानी को डायवर्ट करने की योजना तैयार की है,

लेकिन सरकार इससे सहमत नहीं है, क्योंकि इस पर 500 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च होंगे और प्रदूषित पानी को वापस कालियादेह गांव के आगे शिप्रा में छोड़ दिया जाएगा। इस योजना को लेकर प्रशासन में ऊपरी स्तर पर भी उठापटक चल रही है। शिवराज सरकार के समय इसकी मंजूरी दे दी गई थी और इसका ठेका देने की भी तैयारी कर ली थी।