हे कलेक्टर महोदय ..! जरा इधर भी गौर फरमाइए, नौनिहालों पर बस्ते का बोझ….बैग पॉलिसी का पालन कराने की तरफ ध्यान नहीं

बस्ते के बोझ तले दबने से थक जाते है…जरूरी है स्कूलों का निरीक्षण

उज्जैन। जिला प्रशासन के मुखिया कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने भले ही शहर के कुछ नामी स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए दो-दो लाख रुपए चालान के माध्यम से कोषालय मेें जमा करने के निर्देश दिए हो लेकिन सवाल अब यह भी उठता है कि क्या प्रशासन नौनिहालों को बस्ते के बोझ से मुक्ति दिलाएगा…! तो क्या कलेक्टर महोदय…जरा इस गंभीर बात पर जरा गौर फरमाएंगे…!
बीते दो-तीन वर्षों का ही इतिहास उठाकर देख लिया जाए तो जिला प्रशासन ने सिर्फ निजी स्कूलों को चेतावनी भर ही दी है कि वे अभिभावकों को किसी निर्धारित दुकानों सें कोर्स संबंधी कॉपी किताबें या फिर यूनिफॉर्म खरीदने के लिए मजबूर नहीं करेंगे लेकिन ये चेतावनी नाकाफी सिद्ध होती रही और अभिभावकों को मजबूरी में उसी दुकानों से पुस्तकें और यूनिफॉर्म खरीदना पड़ती रही जहां की दुकान स्कूल प्रबंधन द्वारा बताई जाती रही है। हालांकि यह संभवत पहली बार ही उज्जैन में हुआ होगा जब कलेक्टर महोदय ने निजी स्कूलों पर चाबुक चलाया हो। लेकिन इसके बावजूद भी अभी कतिपय निजी स्कूलों के प्रबंधनों पर लगाम कसना जरूरी है। यह लगाम होगी बस्ते के बोझ पर। दरअसल छोटी कक्षाओं के बच्चों को ही निजी स्कूलों द्वारा इतनी सारी पुस्तकों को पढ़ाई करने के लिए दे दी जाती है कि उन्हें बस्ते में भरकर स्कूलों में ले ही जाना पड़ता है और ऐसे में न तो बेग पॉलिसी का पालन ही हो पाता है और न ही अभिभावक कुछ बोल सकते है क्योंकि उन्हें यह लगता है कि कहीं उनके विरोध से उनके बच्चों का भविष्य खराब न हो जाए। इसलिए  बैग    पॉलिसी का पालन कराना जरूरी है और इसके लिए कलेक्टर महोदय को स्कूलों का निरीक्षण करने की जरूरत होगी।

विभाग  है फैसला
गौरतलब है कि स्कूली शिक्षा विभाग ने स्कूली बच्चों के लिए बैग पॉलिसी बनाई है और इसके तहत कक्षा एक से दसवीं तक के विद्यार्थियों के बस्ते का वजन निर्धारित किया जाए। लेकिन बावजूद इसके शिक्षण संस्थाएं इस निर्देश पालन करने से गुरेज कर रही है। अभिभावकों की यदि माने तो स्कूल में प्रवेश प्रक्रिया के साथ ही किताबों और अन्य सामग्रियों की लिस्ट थमाई जा रही है।
ये है नियम
मध्‍यप्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की दृष्टि से स्कूल बैग पॉलिसी के तहत प्रदेश के सभी सरकारी, गैर सरकारी व अनुदान प्राप्त स्कूलों के विद्यार्थियों के स्कूल बैग का वजन तय किया गया था। इसमें कक्षा पहली के विद्यार्थी एक किलो 600 ग्राम से लेकर दो किलो 200 ग्राम तथा कक्षा दसवीं के विद्यार्थी दो किलो 500 ग्राम से चार किलो 500 ग्राम वजन के बैग लेकर ही स्कूल जा सकेंगे।
नोटिस बोर्ड पर चस्पा करना जरूरी

नियमों के तहत चाहे सरकारी हो  या फिर निजी स्कूल सभी को अपने नोटिस बोर्ड और कक्षाओं में बस्ते के वजन का चार्ट चस्पा करना अनिवार्य है। बैग के वजन में स्कूल की डायरी का भी वजन शामिल है साथ ही विद्यार्थियों को हर दिन उपयोग की जाने वाली पुस्तकें व कॉपियां लाने के लिए भी निर्देश देना जरूरी है। इसके अलावा कक्षा आठवीं तक के विद्यार्थियों को अभ्यास सामग्री को स्कूल में ही रखने  की भी व्यवस्था करना है। लेकिन क्या इन नियमों का पालन हो रहा है… इस सवाल का जवाब किसी जिम्मेदार के पास नहीं है। लिहाजा एक बार फिर
कलेक्टर महोदय से ही उम्मीद बंधी है।