मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्। ये उज्जैन है….यहां खड़े…बैठे…बाल …..और लेटे… हुए है हनुमान 

शहर में आज सुबह से ही छाया हनुमान जयंती का उल्लास

उज्जैन। शहर के हनुमान मंदिरों में आज सुबह से ही हनुमान जयंती का उल्लास छाया हुआ है। प्रमुख मंदिर आकर्षक रोशनी से दमके हुए है तो वहीं कहीं हनुमान चालीसा तो कहीं हनुमान मंत्र गूंज रहे है। धर्म की नगरी उज्जैन की बात निराली है। यह वह स्थान है जहां कहीं बैठे तो कहीं लेटे
तो कहीं खड़े हनुमान मंदिर मिल जाएंगे।
इतना ही नहीं बल्कि उज्जैन में ही एक सौ आठ हनुमान मंदिर भी है। वहीं समर्थ रामदास द्वारा स्थापित हनुमान मंदिर भी विद्यमान है। उज्जैन धार्मिक शहर है तथा पुराणों में भी इस शहर का उल्लेख प्राप्त होता है। भूत भावन भगवान महाकाल यहां के अधिपति है तो वहीं सम्राट विक्रमादित्य की नगरी भी होने का भी गौरव उज्जैन को ही मिलता है।
 शहर की हर गली मोहल्लों और कॉलोनियों में हनुमान मंदिर है। कहीं छोटे मंदिर तो कहीं बड़े मंदिर। जहां हर दिन सुबह और शाम आरती के साथ प्रसादी वितरण होता है तो वहीं इस शहर में हनुमानजी के भक्तों की भी कमी नहीं है। ऐसी मान्यता है कि कलियुग में भगवान हनुमान ही ऐसे है जो भक्तों की मनोकामना पूरी कर सकते है। यही कारण होता है कि हनुमान मंदिरों में सुबह से लेकर रात तक भक्त पहुंचते है..और कोई हनुमान चालीसा का पाठ करता है तो कोई दीपक लगाकर प्रार्थना करते हुए देखा जा सकता है।
उज्जैन  से हनुमान का गहरा नाता
मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन  से हनुमान का गहरा नाता रहा है। यही वजह है कि उज्जैन में हनुमान जयंती और हनुमान अष्टमी  पर 108 हनुमान मंदिरों की यात्रा होती है। इस यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं।  यह भी कहा जाता है कि भगवान श्रीराम का जब तिलक हुआ था तब हनुमान उज्जैन से ही पवित्र जल ले गए थे। धार्मिक नगरी उज्जैन भगवान श्री महाकालेश्वर  और शक्तिपीठ मां हरसिद्धि के अलावा हनुमान मंदिरों के नाम से भी जानी जाती है। उज्जैन शहर में 108 प्राचीन हनुमान मंदिर हैं।  ऐसी मान्यता है कि इन हनुमान मंदिरों की यात्रा करने से हर मनोकामना पूरी होती है।