भाजपा की पृष्ठभूमि पर संघ की छाप, इंदौर और उज्जैन संभाग बनेंगे मालवा के बड़े फैक्टर

 

 

घर घर पहुंचकर भाजपा को पहुंचाया शीर्ष पर, लोकसभा चुनाव में जादूई आंकड़ा हो सकता है पार

 

ष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉक्टर मोहन भागवत 3 दिन पूर्व जबलपुर दौरे पर थे। वही उनका मध्य प्रदेश में प्रवास है। सूत्रों के अनुसार डॉक्टर भागवत को जो फीडबैक मिला है उसके अनुसार मध्य क्षेत्र में संघ का सबसे सघन नेटवर्क इंदौर उज्जैन संभाग यानी मालवा प्रांत में है। संघ की मालवा और निमाड़ में सशक्त उपस्थिति का राजनीतिक रूप से लाभ निश्चित रूप से भाजपा को मिल रहा है।
सूत्रों के अनुसार मध्य प्रदेश के तीनों प्रांतों महाकौशल, मध्य भारत और मालवा प्रांत में शाखाओं की संख्या 2282 तक बढ़ गई है। मध्यप्रदेश में पहले 5646 शाखाएं लगती थी अब यह संख्या 7923 हो गई है। शाखाओं का नेटवर्क सबसे अधिक मालवा प्रांत में हैं। मालवा प्रांत में इस समय 3978 शाखाएं लग रही हैं। 2020 में यह संख्या 3259 थी। संघ ने 2025 के अपने शताब्दी समारोह के लिए शताब्दी विस्तारक निकाले हैं।
देश भर में 13 सौ शताब्दी विस्तारक निकले हैं। इनमें मध्य प्रदेश से 215 शताब्दी विस्तारक निकले हैं जो लगातार दो वर्षों तक पूर्णकालिक कार्यकर्ता के रूप में संघ का नेटवर्क मजबूत करेंगे। इनमें सबसे अधिक मध्य भारत प्रांत से 110 शताब्दी विस्तारक निकले हैं। इसके अलावा महाकौशल से 48 और मालवा प्रांत से 57 शताब्दी विस्तारक निकले हैं। शाखाओं की संख्या के अलावा साप्ताहिक मिलन, मासिक संपर्क योजना और संग मंडल योजना अलग से है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मध्य प्रदेश में इस समय प्रदेश की 20,000 ग्राम पंचायतों में सीधा संपर्क है। यानी इन ग्राम पंचायतों में किसी न किसी तरीके से संघ का कार्य चल रहा है, जबकि 80 फीसदी से अधिक शहरी बस्तियों में संघ का काम किसी न किसी रूप में नियमित रूप से चल रहा है। मध्य प्रदेश संघ की दृष्टि से मध्य क्षेत्र इकाई के अंतर्गत आता है जिसमें छत्तीसगढ़, मध्य भारत महाकौशल और मालवा प्रांत आते हैं।
संघ की नित्य प्रतिदिन शाखाओं में जाने वाले स्वयंसेवकों की संख्या प्रदेश भर में 3 लाख से अधिक है। जबकि प्रदेश में 70 लाख स्वयंसेवक संघ की किसी ने किसी गतिविधि में वर्ष भर में शामिल होते हैं।मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेटवर्क के अलावा संघ परिवार के 36 संगठन भी सक्रिय हैं। संघ परिवार की संयुक्त विराट शक्ति भी कांग्रेस के लिए एक चुनौती है, क्योंकि संघ कार्य का राजनीतिक रूप से लाभ अंततः भाजपा को मिलता है।
संघ की मध्य क्षेत्र इकाई ने तय किया RSS है कि 2025 तक प्रदेश में शाखाओं की संख्या 10,000 तक की जाएंगी। मध्य प्रदेश में संघ विशेष रूप से दलितों और आदिवासियों के बीच अपना नेटवर्क मजबूत कर रहा है। लगातार सामाजिक समरसता अभियान चलाया जा रहा है।
आदिवासियों के बीच संघ का डीलिस्टिंग आंदोलन भी खूब लोकप्रिय हुआ है। कुल मिलाकर मध्यप्रदेश में संघ और संघ परिवार के अन्य संगठनों की ताकत बढ़ रही है।