प्रेम त्रिकोण में हुआ इंदौर में गोली कांड, चली गई तीन लोगों की जान

गोलीकांड को अंजाम देने वाले का अंतिम मैसेज, परवान चढ़ा प्यार, दो बार की शादी, फिर बीच में आ गया तीसरा इंसान

इंदौर। कल इंदौर में हुए गोलीकांड में एक तरफा प्यार नहीं बल्कि प्रेम त्रिकोण का मामला सामने आया है, जिसमें तीन जान चली गई। गोली कांड करने वाले ने दो लोगों को मार डाला और खुद भी सुसाइड कर लिया। गोली कांड को अंजाम देने वाले अभिषेक ने अपने अंतिम मैसेज में जो कुछ भी लिखा उसके अनुसार प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे अभिषेक से स्नेहा बेइंतहा मोहब्बत करने लगी थी। मंदिर में मांग भरवाने के बाद अभिषेक को न सिर्फ हसबैंड बुलाती थी, बल्कि उसकी पत्नी की तरह देखभाल भी करती थी। कहती थी कि तुमने जिस दिन मेरा हाथ छोड़ा, मैं उसी दिन मर जाऊंगी। गोली मारकर जान देने के पहले अभिषेक ने खुद इसका राजफाश किया। उसने स्नेहा के पिता मुकेश जाट के कर्मचारी चंद्रेश जैन सहित अन्य को मैसेज भेजे थे।
अतिरिक्त पुलिस आयुक्त अमित सिंह के अनुसार, शुरुआत में पुलिस इकतरफा प्रेम का मामला समझकर जांच कर रही थी। मुकेश जाट ने अभिषेक पर स्नेहा को परेशान करने का आरोप लगाया और कहा कि दो महीने पूर्व भंवरकुआं थाने भी गया था। महिला एसआई ने बदनामी का भय दिखाकर समझौता करवा दिया। उस वक्त सुनवाई हो जाती तो बेटी आज जिंदा होती।
मुकेश का स्नेहा ट्रेडर्स (तीन इमली) के नाम से सेंधा नमक का व्यवसाय है। उन्होंने दीपक को बड़ी सास (पत्नी की बहन) का बेटा बताया और कहा कि स्नेहा और दीपक में भाई-बहन का रिश्ता था। दीपक के परिजन एमवाय अस्पताल पहुंचे तो उन्होंने स्नेहा और मुकेश को पहचानने से ही इन्कार कर दिया। इससे मुकेश की बातों पर शक गहराया।
दुकान पर काम करने वाले चंद्रेश ने बताया कि दोपहर 12 बजे अनजान नंबर से मैसेज आया था। उसमें स्नेहा के बारे में लिखा हुआ था। घबरा कर तुरंत मुकेश के घर आया और मैसेज बताया। मुकेश ने स्नेहा को काल लगाया तो एक पुलिसकर्मी ने फोन उठाया और कहा तुरंत इंदौर ट्रामा सेंटर (खंडवा रोड) पहुंचो। तुम्हारी बेटी की हालत नाजुक है। इससे स्पष्ट हो गया इकतरफा प्रेम नहीं बल्कि मामला प्रेम त्रिकोण का है। तीनों समझौते के सिलसिले में ही मिले थे। हालांकि अभिषेक स्नेहा और दीपक को मारने की ठान चुका था।
अरिहंत कालेज की गार्ड पूजा के मुताबिक परीक्षा के कारण बाहरी व्यक्ति का प्रवेश बंद है। अभिषेक घबराते हुए अंदर आया तो मैंने रोका। उसने कहा कि घबराहट हो रही है। पानी पीना है। वह दौड़ता हुआ फूड जोन में चला गया। पूजा भी पीछे-पीछे आ गई। कैंटीन संचालक दर्पण मेहरा ने देखा कि अभिषेक मोबाइल चलाता हुआ परिसर में टहल रहा था। कर्मचारी योगेश मेघवंशी ने उसे पानी की बोतल दी और अभिषेक ने खुद को गोली मार ली।
भंवरकुआं टीआई राजकुमार यादव के मुताबिक घटना के वक्त भंवरकुआं चौराहा पर थे। जैसे ही स्वामीनारायण मंदिर में गोली चलने की खबर लगी, जवानों को लेकर पहुंच गया। गार्ड ने बताया कि आरोपी कालेज की तरफ भागा है। प्रधान आरक्षक लक्ष्मण उसे पकड़ने के लिए दौड़े, लेकिन दो मिनट पहले ही उसने गोली मार ली। पूरा घटनाक्रम इतनी जल्दी हुआ कि किसी को बचाने का मौका ही नहीं मिला।

सुबह कालेज छोड़ कर आए थे पिता

स्नेहा के दादा प्रधान आरक्षक के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। उन्होंने पुलिस को बताया कि बेटा मुकेश स्नेहा को छोड़ने जाता था। गुरुवार सुबह 10 बजे भी वह कालेज गया था। उन्होंने तो दोपहर को घटना के बारे में पता चला। पुलिस को मंदिर से एक स्कूटर मिला है जो गोपाल जाट के नाम से रजिस्टर्ड है। स्नेहा और दीपक इसी स्कूटर से मंदिर आए थे।

मां ने भी समझाया था

पुलिस के मुताबिक मुकेश ने बयानों में बताया कि दो महीने पूर्व रेहटी जाकर अभिषेक को समझाया था। परिजन के बयान लिए तो बताया कि स्नेहा की मां द्वारकापुरी स्थित रूम पर सुलह करवाने गई थी। अभिषेक के चाचा ने कहा था कि वह कभी परेशान नहीं करेगा। पुलिस ने घटना के बाद अभिषेक के भाई दुर्गेश को हिरासत में लिया तो बताया कि अभिषेक अलग रहता था। वह 10 साल से इंदौर में रह कर पढ़ाई कर रहा था।

उठते ही गुड मार्निंग हबी का मैसेज करती थी स्नेहा

मैं आप को स्नेहा और मेरे बारे में बताने जा रहा हूं। मेरे मैसेज को ध्यान से पढ़ना। स्नेहा और मैं दिसंबर 2019 में रिलेशनशिप में आए थे। स्नेहा से कहा था कि मैं शादी नही करूंगा। कुछ दिनों बाद स्नेहा ने कहा ठीक है। हमारी ज्यादा बात नहीं होती थी। लाकडाउन लग गया और हमारी बातें ज्यादा होने लगी। दिनभर एक-दूसरे से बात करते थे। हमारे बीच प्यार बढ़ गया और एक-दूसरे से ज्यादा अटैचमेंट हो गया। लाकडाउन खुला और हमारा मिलना-जुलना स्टार्ट हो गया। शुरुआत में हम रीजनल पार्क या कैफे में मिलते थे। स्नेहा कुछ न कुछ गिफ्ट लेकर आती थी। मुझसे कुछ भी गिफ्ट नहीं लेती थी। कहती थी मैं घर नहीं ले जा सकती हूं। हमारे बीच नजदीकियां बढ़ने लगीं।
स्नेहा मुझ पर शादी करने का दबाव बनाने लगी। शादी नहीं की तो मैं मर जाऊंगी। मंदिर में शादी करो वरना मेरा मरा हुआ मुंह देखोगे। हमने मंदिर में जाकर शादी कर ली। वो मुझसे हसबैंड की तरह बात करने लगी। प्यार से हबी बोलने लगी। सुबह उठते से ही मुझे गुड मार्निंग हबी के मैसेज करती थी। वो मुझे अपना हसबैंड ही मानने लगी। हसबैंड की तरह मेरी केयर करनी लगी। उसकी केयर से मेरे अंदर भी उसके लिए फीलिंग्स आने लगी।
एक दिन हम लोग देवास दर्शन करने गए तो वहां स्नेहा कहने लगी कि माताजी के सामने मेरी मांग में सिंदूर भरो। मैंने मांग में सिंदूर भर दिया और हमारी दो बार शादी हो गई। स्नेहा मेरे लिए फिर सारे उपवास करने लगी, जो एक पत्नी अपने पति के लिए करती है। सावन सोमवार व हर साल करवा चौथ का उपवास करने लगी। हमारा रिलेशन बहुत मजबूत हो गया था।
हम दोनों की बांडिंग बहुत ज्यादा अच्छी हो गई थी। हम डेली मिला करते थे। स्नेहा मेरी हसबैंड की तरह केयर करती थी। कहती थी- तुमने मुझे छोड़ा तो मैं उसी दिन मर जाऊंगी। स्नेहा के कहने पर मैंने पर्सनल रूम रेंट से लिया था। हमारा रिलेशन बहुत अच्छा चल रहा था। फिर हम दोनों के बीच कोई तीसरा इंसान आ जाता है….