April 27, 2024

दैनिक अवन्तिका ब्रह्मास्त्र उज्जैन

उज्जैन। अमृत योजना के तहत शहर की सीवरेज लाईन डालने का काम नगर‍ निगम पीएचई ने शुरू करवाया था। यह योजना नाम की अमृत रही है। शहरवासियों को गड्डों का जहर पीने पर इसने मजबूर कर रखा है। ठेका कंपनी टाटा अनियंत्रित हो कर काम कर रही है। नगर निगम के यंत्री इसके सामने घूटने टेक चुके हैं। निगम यंत्री अब हताशा की स्थिति में आ चुके हैं। बकौल पीएचई कार्यपालन यंत्री एन के भास्कर ठेका निरस्त करते हैं तो अब नई समस्या खडी हो जाएगी। जो कुछ करना था सब कर चुके हैं अब जैसे तैसे काम करवाना मजबूरी है।शहर की सिवरेज लाईन को व्यवस्थित करने के लिए अमृत योजना के तहत नगर निगम पीएचई ने वर्ष 2017 में टाटा कंपनी को 438 करोड का ठेका दिया था। दो वर्ष में कंपनी को इसके तहत इसमें शहर की गलियों से लेकर मुख्य मार्ग तक में कंपनी को सिवरेज पाईप लाईन डालना है। पूरे शहर में करीब  इस पाईन लाईन को चक कमेड के यहां बने सिवरेज प्लांट के यहां ले जाकर जोडा जाना है। इसके साथ ही 10 साल तक पाईप लाईन का मेंटेनेंस भी करना होगा। एग्रीमेंट के तहत पाईप लाईन डालने के लिए खुदाई के बाद कंपनी को सडक की रिपेयरिंग भी व्यवस्थित रूप से करना है।काम के ये हैं हाल –टाटा कंपनी की और से शहर में साढे 6 साल में पूरे शहर में लाईन नहीं डाल सकी हैं। हाल यह हैं कि कंपनी गली मोहल्लों में खुदाई करने और पाईप डालने के बाद भूल जाती है कि सडकों की मरम्मत का काम भी उसे व्यवस्थित रूप से करना है। शहर की कई गली,मोहल्ले,कालोनियों में टाटा के कारण यही हाल बने हुए हैं। आम रहवासी परेशान हैं सडकों की मरम्मत न ही होने और व्यवस्थित नहीं किए जाने से आवागमन की परेशानी और दुर्घटना आम हो गई है।एक युवक की मौत,कुछ हादसे का शिकार-टाटा के काम की लापरवाही का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसके द्वारा पाईप लाईन डालने के बाद चेंबर को व्यवस्थित नहीं बनाने से कुछ वर्ष पूर्व इंदौर गेट से गधा पुलिया के बीच दुर्घटना में एक युवक की जान जाने का मामला हुआ था। इस मामले में पुलिस को शिकायत भी हुई थी। न्यायालय में निजी इस्तगासे के रूप में भी संबंधित पहुंचे थे। यह एक मामला नहीं है और भी ऐसे मामले हैं जिनमें शहरवासियों को अपने हाथ पैर इनके लापरवाह काम के चलते तुडवाने पडे हैं।9 करोड की पेनल्टी फिर भी कोई असर नहीं-सामने आ रहा है कि अब तक कंपनी पर उसके ढीले तरीके से और लापरवाहीपूर्वक काम को लेकर 9 करोड का जुर्माना नगर निगम प्रशासन लगा चुका है। अब तक कंपनी को काम के लिए 5-6 बार उसकी कार्यअवधि बढाई गई है। इसके बाद भी काम पूरा और व्यवस्थित करने को लेकर कंपनी गंभीर नजर नहीं आ रही है। हाल यह रहे हैं कि पूर्व निगमायुक्त रोशनकुमारसिंह ने नगर निगम और कंपनी के लोगों के साथ स्पाट स्टैंडिंग मिटिंग शुरू करते हुए हर क्षेत्र के लिए नगर निगम के यंत्रियों को गली-गली की जिम्मेदारी दी थी। उसके बाद भी काम की गति नहीं बढ सकी और काम व्यवस्थित करने को लेकर कंपनी के कान पर जूं तक नहीं रेंगी है।6 आईएएस और एक कंपनी-शहर में नगर निगम ने जब जब पाईप लाईन के मामले में हाथ डाला है तब –तब उसे ऐसी ही परेशानियों के दौर से गुजरना पडा है। शहर वासियों को इसके तहत अव्यवस्थाओं का जहर पीना पडा है। इससे पूर्व तापी कंपनी ने पीएचई की लाईन भी इसी तरह से रूला-रूला कर डाली थी। इसके बाद टाटा की सिवरेज लाईन का काम भी ऐसा ही रहा है। इस दौरान 6 आईएएस निगमायुक्त आकर निकल गए हैं जिनमें प्रतिभा पाल,ऋषि गर्ग, क्षितिज सिंघल,अंशुल गुप्ता, रोशन कुमार सिंह,आशीष पाठक शामिल हैं।सोश्यल मिडिया पर निगम की इमेज तार-तार-टाटा के काम से परेशान शहरवासी जाएं तो कहां जाएं उन्हें समझ नहीं आ रहा है। घरों और गलियों के सामने महिनों सडकें खुदी पडी हैं जिन्हें रिपेयर करने की जिम्मेदारी कंपनी की है और उसके जिम्मेदार इसे नजरअंदाज कर रहे हैं। नगर निगम के यंत्रियों की स्थिति ऐसी है कि वे फोन उठा लें तो संबंधित क्षेत्र का नागरिक अपने आप को धन्य समझता है। नगर निगम के जनप्रतिनिधि बनाम पार्षद इस मामले में तत्काल ही दूरी बना लेते हैं। टाटा के काम से परेशान नागरिकों ने सोश्यल मिडिया के उज्जैन वाला ग्रुप पर अपनी परेशानियों को डालने का काम शुरू किया है। पीढा से भरे दक्षिण शहर के नागरिकों की ग्रुप पर नगर निगम को लेकर जमकर नकारात्मक प्रतिक्रिया दी जा रही हो। ग्रुप पर डाली जा रही प्रतिक्रिया धार्मिक शहर की नगर निगम की इमेज को तार- तार कर रही है।जोन और सेवा एप नाम के-नगर निगम के सेवा एप के हालात ऐसे हैं कि उस पर शिकायत दर्ज किए महीनाभर भी हो जाए तो कोई पूछने तक नहीं आता है। ऐसे ही मामले से झोन 6 हरिओम विहार निवासी गण बताते हैं कि समस्या के लिए जोन कार्यालय जाने पर इंजीनियर नहीं मिलते हैं। जिम्मेदार हर्ष जैन मोबाईल नहीं उठाते हैं। जोन पर समस्या लेने को कोई तैयार नहीं।यहां तक की जोन कार्यालय में इंजीनियर और उपयंत्री का नंबर बताने को कोई तैयार नहीं होता है। युएमसी सेवा एप पर कंपलेंट की लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई।रिपेयरिंग करने कोई नहीं आया और न ही जोन से ही कोई जानकारी लेने आया है।निगलने उगलने दोनों में परेशानी-अंदर खाने से निकलकर आ रही जानकारी के अनुसार कंपनी अनुबंध का पूरा फायदा उठाकर मनमर्जी से ही काम कर रही है। नगर निगम अब तक 9 करोड के लगभग जुर्माना कंपनी पर कर चुका है। अधिकतम जुर्माना कंपनी पर ठेके की कुल लागत 438 करोड का 10 प्रतिशत तक किया जा सकता है। खास तो यह है कि अनुबंध के तहत पाईप लाईन का संधारण अगले 10 साल तक कंपनी को ही करना है। पाईप की टूट- फूट भी उसी को दुरूस्त करना है। इन सब परिस्थितियों में अगर निगम प्रशासन ठेका निरस्त करता है तो उसे नए सिरे से उसे कवायद करना होगी। नई कंपनी नए सिरे से काम में जुटेगी और पाईप लाईन के साथ ही अपने फायदे के लिए त्रुटियां निकालकर काम करेगी जिससे काम में आर्थिक बोझ बढ जाएगा और समय भी और अधिक लगेगा। इसके चलते धीमी गति से ही कंपनी से काम करवाए जाने की नीति को अपना कर जैसे तैसे पाईप लाईन डलवाकर उसे चालू करवाने की कवायद की जा रही है।कार्यपालन यंत्री भार्गव बोले-बुरे हालहालत यह है कि नगर निगम के अधिकारी भी शहर के खूदे होने से परेशानी से रूबरू हो रहे हैं। कार्यपालन यंत्री संविदा पीयूष भार्गव बताते हैं दो दिन पहले उन्हें शास्त्री नगर से इंदौर रोड की तरफ जाना था। हाल ये रहे कि 5 मिनिट का सफर 25 मिनिट में तय हुआ वो भी सभी गलियों से परिचित होने पर। कंपनी ने बेतरतीब खुदाई कर दी है। सडकों की मरम्मत ठीक से नहीं की जा रही है।