पांव- पांव वाले भइया 19 साल बाद फिर विदिशा लौटे ,शिवराज भाजपा उम्‍मीदवार

फिर से मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने से मायूस शिवराज समर्थकों में भारी उत्साह , आतिशबाजी, मिठाइयां बंटी

विदिशा। मध्य प्रदेश के मामा, पूर्व मुख्यमंत्री और युवा मोर्चा की राजनीति करते हुए 32 साल पहले विदिशा संसदीय क्षेत्र का नेतृत्व करने वाले शिवराज सिंह चौहान 19 साल बाद फिर विदिशा के रास्ते राष्ट्रीय राजनीति में लौट रहे है। इसके साथ ही अब यह तय हो गया है कि शिवराज की राजनीतिक भूमिका अब केंद्र में रहेगी । भाजपा ने इस सीट से वर्तमान सांसद रमाकांत भार्गव का टिकट काटते हुए शिवराज को प्रत्याशी घोषित कर दिया है। टिकट की घोषणा होते ही विदिशा में भाजपा कार्यकर्ताओं के मुरझाए चेहरे फिर खिल गए है। उन्होंने आतिशबाजी कर इस घोषणा का स्वागत किया।
इस विधानसभा चुनाव में भारी जीत के बावजूद शिवराज सिंह चौहान को पुनः मुख्यमंत्री नहीं बनाने से उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर संशय की स्थिति बन रही थी , लेकिन शनिवार को भाजपा प्रत्याशियों की पहली सूची में विदिशा से उनका नाम घोषित होने से संशय के बदल छंट गए है। शिवराज के लिए विदिशा की सीट सबसे सुरक्षित सीटों में सा एक है। वे वर्ष 1991 में सबसे पहले इसी संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़कर लोकसभा में पहुंचे थे। यह सीट उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेई के इस्तीफे के बाद मिली थी। वर्ष 1991 से लेकर 2005 तक वे लगातार पांच बार इसी संसदीय क्षेत्र से सांसद बनते रहे। इस दौरान उन्होंने विदिशा से दिल का रिश्ता कायम कर लिया। सांसद रहते हुए उन्होंने विदिशा संसदीय क्षेत्र में पद यात्रा निकाली थी और इसी पदयात्रा के बाद उनकी पहचान पांव – पांव वाले भैया के रूप में बनी थी। जब वे वर्ष 2005 में दिल्ली की राजनीति छोड़कर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तब भी वे विदिशा से लगातार जुड़े रहे। मुख्यमंत्री रहते शिवराज ने विकास के क्षेत्र में बड़े प्रयास किए, जिसे लोग आज भी याद रखते है। पिछले चुनाव में जब सुषमा स्वराज का स्वास्थ्य खराब होने के कारण टिकट बदलने की बात आई तो शिवराज के करीबी रमाकांत भार्गव को मौका मिला और उन्होंने भी पांच लाख से अधिक मतों से जीत हासिल की थी।

शिवराज समर्थकों में उत्साह

भाजपा ने प्रदेश में 29 में से 29 सीटें हासिल करने के लिए पिछड़ा वर्ग को साधने के लिए शिवराज को पुनः संसदीय क्षेत्र से अपना प्रत्याशी घोषित किया है। इसके अलावा उन्हें मुख्यमंत्री न बनाने से समर्थकों में जो मायूसी छाई थी, उनमें भी उत्साह का संचार होगा। विधानसभा चुनाव में विदिशा जिले की पांचों सीटों पर एकतरफा जीत हासिल करने के बाद भी भाजपा विधायक से लेकर कार्यकर्ता तक निराश थे लेकिन शनिवार शाम को शिवराज के नाम को घोषणा होते ही कार्यकर्ताओं में खुशी और उत्साह देखा गया। उन्होंने माधवगंज चौराहा पर आतिशबाजी कर मिठाई बांटी।