तीन साल से अधिक हो गए…फिर भी कुत्तों की संख्या कम नहीं हो रही

उज्जैन। यूं तो करीब तीन साल पहले नगर निगम ने आवारा कुत्तों की नसबंदी करने का काम शुरू किया था लेकिन इतने दिन बीतने के बाद भी शहर में आवारा कुत्तों की संख्या कम होने का नाम नहीं ले रही है।
इसका उदाहरण बीते दिनों ही महाकाल मंदिर में सामने आया है जब विदेश के एक श्रद्धालु को आवारा कुत्ते ने अपना शिकार बना लिया था। बता दें कि वर्ष 2020 में नगर निगम ने सदावल स्थित कुत्ता घर में कुत्तों की नसबंदी करने का ठेका एक कंपनी को दिया था। मगर बीते लंबे समय से इस बात का पता नहीं चल रहा है कि यह काम जारी है या फिर नहीं। हालात यह है कि गली मोहल्लों से लेकर कॉलोनियों तक ही नहीं बल्कि प्रमुख मंदिरों के आसपास आवारा कुत्ते मंडराते हुए देखे जा सकते है और इसके साथ ही कुत्तों की काटने की घटना होने से हर दिन ही मरीज जिला अस्पताल में पहुंचते है।

बीते कई दिनों से या नगर निगम की गैंग भी सक्रिय नहीं दिखाई दे रही है और यही कारण है कि न केवल आवारा कुत्ते बल्कि आवारा मवेशियों की भी भरमार शहर में देखी जा सकती है। कुत्ते गली मोहल्लों में हिंसक होकर घूम रहे हैं। विशेषकर बुजुर्गों और बच्चे इन कुत्तों से बचकर निकल रहे हैं। वहीं दूसरी ओर जिला चिकित्सालय में रेबीज के इंजेक्शन भी समय पर नहीं मिलते हैं। इस कारण से कुत्ते के काटने से मरीज को महंगा इंजेक्शन बाजार से खरीदना पड़ता है। पिछले साल 2023 में श्वानों के शिकार पीड़ितों की संख्या बता रही है कि हर दिन 17 और हर सप्ताह 102 से ज्यादा लोग आवारा श्वानों के हमले का शिकार हो रहे हैं। इस हिसाब से आने वाले सालों में यह आंकड़ा हजारों तक पहुंच सकता है। नगर निगम से लेकर जिला प्रशासन के पास कोई समाधान नहीं है। नगर निगम के जिम्मेदारों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के हिसाब से इस समस्या का श्वानों की नसबंदी के अलावा कोई हल नहीं है। श्वानों की संख्या लगातार बढ़ना यह प्राकृतिक है।