टाटा कंपनी प्रोजेक्ट की देंन : शिप्रा हुई मेली…मर रही मछलिया….बदबू से श्रद्धालु परेशान…

उज्जैन। शहर में इन दोनों टाटा प्रोजेक्ट के चलते जनजीवन अब अस्त व्यस्त होता जा रहा है टाटा कंपनी प्रोजेक्ट के कारण शहर में जगह-जगह गड्ढे मुसीबत बने हुए हैं। वहीं अब शिप्रा नदी में भी श्रद्धालु बदबूदार पानी में स्नान करने को मजबूर है दरअसल टाटा कंपनी के प्रोजेक्ट के काम के तहत शिप्रा नदी का पानी रोक दिया गया है जिसके कारण शिप्रा नदी बड़े पुल के आगे बिच का हिसा  सुख गया  है और नदी में भारी मात्रा में मछलिया मर रही है ।

 

रिपोर्ट विकास त्रिवेदी 

शिप्रा में पानी रोकने एवं प्रदुषण से ढेरों मछलियां मरी…

मोक्षदायिनी शिप्रा में कुछ घाटों पर पानी रोक देने एवं प्रदुषण से बढी मात्रा में मछलियों को मोक्ष मिल गया है। घाट के किनारों पर मरी मछलियों का ढेर बता रहा है कि पर्याप्त पानी नहीं होने के साथ ही गंदे नालों का प्रदुषित पानी जलीय जीव के जीवन के लिए घातक हो रहा है। मरी हुई मछलियों की सडांध से शिप्रा जल का आचमन तो ठीक श्रद्धालू छींटे डालने से कतरा रहे हैं।पानी की रूकावट टाटा के काम को लेकर की जाना सामने आ रहा है। नालों का गंदा पानी सतत रूप से मिल रहा है।

दो से तीन घाटों पर मरी मछलियों का ढेर लगा,प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड को जानकारी नहीं….

उज्जैन शहर में टाटा प्रोजेक्ट के अस्त व्यस्त काम के कारण सामान्य जनजीवन प्रभावित होता जा रहा है। ड्रेनेज लाईन डालने में कंपनी की कोताही एवं लापरवाही का कार्य पूर्व में कुछ लोगों की जान ले चुका है, जिसे लेकर पुलिस को शिकायत हो चुकी है। शहर में जगह-जगह गड्ढे और सडकों को बगैर किसी सूचना पट्ट लगाए खोद देने से वाहन चालकों एवं आमजन का जीवन मुसीबत में है। कंपनी के काम को लेकर शिप्रा में छोटी रपट के पास बने बैराज को बंद कर दिया गया है। इस कारण से शिप्रा के धोबी घाट , श्मसान घाट,राजामल घाट एवं इसके आगे के घाटों पर पानी सूख गया है। यहां पर मिलने वाले गंदे नालों का पानी बराबर नदी में आ रहा है। पानी रोकने के साथ ही प्रदुषित पानी के यहां मिलने से पिछले तीन दिनों से निरंतर बडी संख्या में मछलियों एवं जलीय जीवों के मरने से घाट के किनारों पर मरी हुई मछलियों एवं अन्य जलीय जीवों का ढेर लग गया है। नदी में क्विंटलों से मरी मछलियां सामने ही पडी हुई हैं ओर उन्हें आस पास से कुत्ते एवं अन्य जानकार आकर घाट पर लाकर नोचकर खा रहे हैं। इसके साथ ही मरी हुई मछलियों की सडांध से श्मसान घाट पर आने वाले शहर भर के नागरिकों को बैचेनी और बदबू गंदगी से दो-चार होना पड़ रहा है।श्मसान के निचले हिस्से में शव की अंत्येष्टि करने वाले लोगों को इससे बडी परेशानी हो रही है। कार्तिक मेले के आगे का शिप्रा नदी का बीच का हिस्सा पूरी तरह से सूख रहा है वही जमा हुआ पानी अब मछलियों की मौत की वजह बना हुआ है जमे पानी में गंदगी पसरी पड़ी है। जिसके कारण दर्जनों मछलियां मर रही है । मछलियों के मरने के कारण पानी और भी दूषित हो गया है वही शिप्रा नदी के पानी से बदबू भी आ रही है। इसे लेकर नगर निगम पीएचई के साथ ही जलसंसाधन विभाग के अधिकारियों का कोई ध्यान नहीं है। मछलियों के बढी मात्रा में मरने एवं पानी के प्रदुषण को लेकर प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी भी पूरी तरह जानकारी विहीन हैं । प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी हेमंत तिवारी इस पूरे मामले से अंजान हैं वे कहते हैं कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है।