मल्हारगढ़ : सोयाबीन की फसल चौपट,खेत हुए जलमग्न, किसानों को हक का बीमा तो ठीक मुआवजा भी नही मिला

मल्हारगढ़ ।  क्षेत्र में पहले अल्पवर्षा व बाद में लगातार वर्षा से फसले बर्बाद होगई किसानों के लिए यह कहावत चरितार्थ होगई की “पहले दुबले ओर फिर दो असाढ़” किसान काफी संकट में है उन्हें उनके हक का न तो बीमा मिला और नही मुआवजा।
गुरुवार कांग्रेस प्रत्याशी परशुराम सिसौदिया, मल्हारगढ़ ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष अनिल शर्मा,कार्यकारी अध्यक्ष कन्हैयालाल पाटीदार सूपड़ा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गणपत पंवार हरमाला ने जलमग्न हुई सोयाबीन की फसल को देखा। कांग्रेस नेताओ ने कहा कि फसलो में इतने नुकसान के बाद भी भाजपा की शिवराज सरकार अभी भी सर्वे सर्वे का खेल खेल रही है और हद तो तब होगई जब इस सरकार ने आंखे बंद करके नेत्राकंन सर्वे करवाया और उसमें मात्र 15 प्रतिशत ही नुकसान बताया।
कांग्रेस किसानों के साथ लगातार ज्ञापन, धरने,व अन्य आन्दोलनों के माध्यम से सरकार से मुआवजे की मांग कर रही है पर भाजपा की गूंगी बहरी सरकार कुम्भकर्णीय नींद सोई हुई है।
कांग्रेस प्रत्याशी परशुराम सिसौदिया ने आरोप लगाया कि क्षेत्रीय विधायक व प्रदेश सरकार में वित्तमंत्री जगदीश जी देवड़ा नही चाहते है कि किसानों को मुआवजा मिले वह अगर चाहते तो अभी तक सभी किसानों को बगेर सर्वे के मुआवजा मिल ही जाता क्योकि वह स्वयं भी ओपचारिकता पूरी करने केवल एक या दो खेत मे गए है और उन्होने भी स्वीकार किया था कि नुकसान है फिर मुआवजा क्यो नही दिया क्योंकि इनकी कथनी और करनी में अंतर है।सिसोदिया ने कहा कि देवड़ा जी अभी करोड़ो रुपए की चुनावी घोषणाएं करने में व्यस्त है वह किसानों के मुआवजे पर चुप्पी साधे हुए है भाजपा की शिवराज सरकार व वित्तमंत्री देवड़ा जी बीमा कंपनियों को करोड़ो का फायदा पहुचा रहे है।
मल्हारगढ़ ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष अनिल शर्मा ने कहा कि क्षेत्र में किसानों ने बड़े रकबे में सोयाबीन की फसल बो रखी है पहले अल्पवर्षा के चलते अफलन की स्थिति निर्मित हुई और उसके बाद थोड़ी बहुत उम्मीद थी तो वह इल्लियां के प्रकोप व लगातार बारिश से समाप्त हो गई।
शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री प्राकृतिक आपदा के समय कहते है कि शिवराज सरकार संकट के समय उनके साथ खड़ी है, पर साथ तो खाली हाथ ही खड़ी है, किसान नागेश्वर चौहान ने बताया कि आज हम आर्थिक संकट से गुजर रहे है इधर उधर से उधार कर्ज लेकर अपनी गृहस्थी चला रहा है सोयाबिन में लगात मूल्य तो दूर की बात निदाई गुड़ाई की मजदूरों की मजदूरी भी नही निकल रही है अगली फसल के लिए खेत को खाली कराने के लिए सड़ी व अंकुरित सोयाबीन को खेत से हटाना भी महंगा पड़ रहा है। शर्मा ने शासन प्रशासन से किसानों को बगेर सर्वे के तत्काल पर्याप्त मुआवजा देने की मांग की है।