विकार हटाने, नई शुरूआत के लिए है हेमाद्रि संकल्प- जोशी

उज्जैन । पापों का प्रायश्चित एक बड़ी बात है। हमारे पाप करने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगे जो मन पाप के लिए चलता है वह नहीं चले। अपनी सृष्टि में सोचने करने में कहीं भी विकार आया हो तो उसे हटाने तथा नई शुरूआत करने के लिए हेमाद्रि संकल्प करते हैं। इसलिए आज हम पिछले दिनों हुई अवांछनीयताओं का प्रायश्चित करने जा रहे हैं। श्रावणी पर्व ब्राह्मण के ऋषित्व के अभिवर्धन का पर्व है। सद्ज्ञान एवं सत्कर्म की मयार्दाओं का कहीं खण्डन हुआ है तो उसके प्रायश्चित के लिए तथा उच्च आदर्शवादी जीवन को अधिक तेजस्वी बनाने के लिए इस पर्व पर आत्म संकल्प एवं परमात्म अनुदानों का योग करने के लिए हम सब यहां एकत्र हैं।
यह उद्गार श्यामलाल जोशी समन्वयक शिक्षा संस्कृति प्रकोष्ठ गायत्री शक्तिपीठ ने गायत्री शक्तिपीठ पर श्रावणी उपाकर्म कराते हुए श्रद्धालुओं के समक्ष व्यक्त किए। यहां पर वुधवार को सुबह परिजनों ने उपाकर्म के तहत हेमाद्रि संकल्प, दस स्नान, तर्पण, शिखा सिंचन, यज्ञोपवीत नवीनीकरण, रक्षाबंधन, वृक्षारोपण आदि क्रम संपन्न किए। वर्षा की लंबी खींच के कारण यज्ञ के साथ वरूण गायत्री मंत्र से विशेष आहुतियां पर्याप्त वर्षा की कामना के साथ प्रदान की गईं।