क्या विश्व की न्याय प्रणाली में वैचारिक परिवर्तन की आवश्यकता है?इस दिशा में आयुषी जैन न्यूयार्क में अपनी स्पेक्यूलेटिव डिजाईन फिलोसोफी के माध्यम से काम कर रही

उज्जैन ।  क्या विश्व की न्याय प्रणाली में वैचारिक परिवर्तन की आवश्यकता है? यदि इस प्रश्न का उत्तर हाँ है तो इसी दिशा में इन्दौर नगर की निवासी आयुषी जैन न्यूयार्क में अपनी स्पेक्यूलेटिव डिजाईन फिलोसोफी के माध्यम से काम कर रही है।
आयुषी जैन ने एक विचार संप्रेषित किया है कि वर्तमान न्याय प्रणाली प्रतिशोध के सिद्धांत पर आधारित है। वर्षों बरस से चली आ रही दुनिया की इस प्रणाली में सभी प्रकार के प्रयोगों के बावजूद भी दुनिया में आपराधों में न केवल कोई कमी आई है बल्कि उसकी तीव्रता और भी बढ़ी है। इस प्रणाली में दृष्टिकोण के परिवर्तन के विषय पर ही काम करते हुए आयुषी ने जैन धर्म के सिद्धांतों अनेकान्तवाद और स्यादवाद के आधार पर एक कल्पनाशील वैचारिक दृष्टिकोण पर काम किया है।
अनेकान्तवाद का तात्पर्य है किसी भी वस्तु/विषय में सत्य सापेक्ष हो सकते हैं। इसको हाथी की उस कहानी से समझा जा सकता है जिसके अंगों को नेत्रहीन व्यक्ति विभिन्न प्रकार से अभिव्यक्त करता है। अर्थात किसी भी घटना या वस्तु का सत्य भिन्न हो सकता है।
इसी प्रकार स्याद्वाद का तात्पर्य है कोई भी निर्णय हमेशा सापेक्ष हो सकता है। अर्थात प्रत्येक विचार / निर्णय की प्रासंगिकता सशर्त या सापेक्ष ही हो सकती हैं। इन दोनों सिद्धांतों को ध्यान में रखकर ही किसी अपराध की जांच-पड़ताल की जा सकती है। इस कारण से जांच / परीक्षण के प्रारूपों / पत्रकों /वर्कशीट में परिवर्तन करके अनुसंधान का दृष्टिकोण बदला जा सकता है। आयुषी ने इसी प्रक्रिया पर कुछ काम किया है।
शासन की कई कल्याणकारी योजनाओं का लाभ समाज की अंतिम पंक्ति के व्यक्ति तक पहुंचने में कठिनाई का प्रमुख कारण भी यह हैं कि हमारी प्रणालियां संदेह के आधार पर डिजाइन की हुई हैं। इसलिये अमेरिकी प्रशासन के विभागों के साथ काम करते हुये आयुषी और उनकी टीम ने दृष्टिकोण के इस परिवर्तन के लिए नवीन डिजाईन स्ट्रेटेजी बनाकर प्रस्तुत की हैं ताकि कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पूर्ण संवेदनशीलता एवं समरूपता से त्वरित गति से प्राप्त हो सके।
किसी भी वस्तु, उपकरण, साधन एवं सिस्टम के लिए प्राथमिक रूप से डिजाइन थिंकिंग (आकल्पन विचार) की आवश्यकता होती है। इसीलिए वर्तमान परिप्रेक्ष्य में दुनिया में कई क्षेत्रों में नियोजन (प्लानिंग) रणनीति (स्ट्रेटेजी) तैयार करते समय डिजाइन थिंकिंग (आकल्पन विचारशीलता) की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
एनआईडी में अध्ययनरत रहते हुये आयुषी और उसकी मित्र की डिजाइन थिंकिंग के आधार पर भारतीय रेल के टायलेट्स में डायगोनल शीट लगाने एवं वाश बेसिन प्लेटफार्म में परिवर्तन करने का कार्य भी शुरू हुआ है। हैदराबाद एयरपोर्ट की चेक-इन एवं सिक्योरिटी प्रणाली में डिजाइन परिवर्तन के आधार पर पोर्ट की क्षमता में वृद्धि की गई है।
भारतवर्ष में डिजाइन थिंकिंग का समावेश पुरातन समय से रहा है, जिसके आधार पर पुरातात्विक महत्व के अनेकानेक स्ट्रक्चर्स देश के कोने-कोने में मौजूद है। भारतीय संस्कृति के मूल में इसी डिजाइन थिंकिंग की मौजूदगी की वजह से विश्व की सबसे पुरानी सभ्यता अब तक अक्षुण्ण है। इसी सिद्धांत के आधार पर गांधीजी ने दक्षिण अफ्रीका से समरसता का संदेश देते हुये अंतत: भारतवर्ष की आजादी का मार्ग प्रशस्त किया।