अफीम नीति बनाते समय अफीम उत्पादक जिले के किसानों को भी करे सम्मिलित -सिसौदियाजिला अफीम अधिकारी से कांग्रेस नेताओ का प्रतिनिधि मंडल मिला

पिपलियामंडी ।   अफीम की खेती करने वाले किसान केंद्र सरकार के तुगलकी निर्णयों व नित नए प्रयोगों से दु:खी एवं परेशान है। कांग्रेसनेता परशुराम सिसौदिया, मल्हारगढ़ ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष अनिल शर्मा, कार्यकारी अध्यक्ष कन्हैयालाल पाटीदार, सेक्टर अध्यक्ष प्रहलाद पाटीदार, राजू गुर्जर, जिला अफीम अधिकारी अनिल कुमार से चर्चा कर उन्हें बताया कि जबसे सीपीएम पध्दति लागू कीगई है तब से किसान काफी परेशान है।
नारकोटिक्स विभाग के अधिकारी जब तक खेत पर आकर निरीक्षण कर डोडे तोड़ने का आदेश नही देता है तब तक एक तो खेतो में डोडो की निगरानी में रतजगा करना पड़ता है,फिर घर पर भी पूरी निगरानी करना पड़ रही है जब तक इनका तोल नही होजाता है,पन्द्रह से बीस मजदूर लगाकर डोडे से पोस्त निकालने का काम करवाया जारहा है इसमें भी काफी आर्थिक बोझ बढ़ा है।अफीम की खेती धीरे धीरे काफी मेहनत की व खचीर्ली होती जारही है बावजूद उसके किसानों को अफीम की कीमत ऊँट के मुंह मे जीरे के समान है।अफीम की कीमत 40 हजार रुपये होनी चाहिए। कांग्रेस नेता परशुराम सिसौदिया ने कहा कि अफीम नीति का निर्धारण अधिकारी करते है,उन्हें अफीम की फसल की भौगोलिक परिस्थितियों का व वातावरण का का पता नही रहता है ऐसे में अफीम नीति निर्धारण करते समय अफीम उत्पादक जिलों में से किसानों को भी सम्मलित कर उनकी द्वारा दिये गए सुझावों को भी मान्य करना चाहिए। वर्तमान जो हालात अफीम उत्पादक किसानों के है उससे लगता है कि” सोने से घड़ावन महंगी” है। किसानों के साथ ही कांग्रेस भी समय समय पर अफीम उत्पादक किसानों की समस्याओं को उठाती आई है लेकिन केंद्र की गूंगी बहरी सरकार के कानों पर जु तक नही रेंगी।
ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष अनिल शर्मा ने कहा कि नए नए नियम व कानून बनाकर केंद्र सरकार धीरे धीरे अफीम की खेती को बंद करना चाहती है। नारकोटिक्स विभाग के अधिकारियों द्वारा अफीम की बोवनी से लेकर अफीम की तुलाई होने तक अफीम उत्पादक किसानों को पेसो के लिए काफी प्रताड़ित व परेशान किया जाता है ओर जमकर इन किसानों का आर्थिक शोषण भी किया जाता है। प्रत्येक किसान को 10 आरी के पट्टे दिए जाय,पुरानी पद्धति से ही किसानों को अफीम निकालने दी जाय। शर्मा ने यह भी मांग की है कि नीलगायों( रोजड़ों) अफीम के खेत के चारो तरफ जाली लगाने का खर्चा भी सरकार को ही वहन करना चाहिए।