शाकाहारी मनुष्य ही मन में रख सकता है दया करुणा- रविंद्र मुनि मसा

जावरा ।  जब तक आप भोले बनकर रहेंगे तब तक आप समझदार नहीं बन सकते हैं ।हमे समझदार बनकर धर्म के मार्ग पर चलते हुए अपनी आत्मा को निर्मल बनाना है ।जिस तरह एक फूल भी मुरझा कर अपनी सुगंध छोड़ जाता है ।उसी तरह क्या आप भी दुनिया में कुछ छोड़कर जाना चाहते हैं। दुनिया में व्यक्ति कैसा भी हो लेकिन श्रद्धांजलि सभा में व्यक्ति की तारीफ ही की जाती है ।ऐसा जीवन जीने से कोई लाभ नहीं । उक्त विचार प्रखर वक्ता मेवाड़ गौरव रविंद्र मुनि जी महाराज साहब ने धर्मसभा में व्यक्त किए ।आपने आगे कहा कि शाकाहार एवं मांसाहार मानव सभ्यता की दो अलग-अलग विपरीत शाखा है। जो आपस में कभी मेल नहीं खाती आप अपने जीवन को सुधार के मार्ग पर ले जाएं। शाकाहार अपनाएं एवं शाकाहार के लिए लोगों को प्रेरित करें ।शाकाहारी व्यक्ति ही मन में दया एवं करुणा के भाव रख सकता है । धर्म सभा का संचालन महावीर छाजेड़ ने किया।