विश्व स्तनपान सप्ताह 7 अगस्त तक मनाया जायेगा

 

उज्जैन ।  प्रतिवर्ष की भाँति इस वर्ष भी 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जायेगा। अभियान मंगलवार एक अगस्त से प्रारम्भ हो गया है। इस वर्ष के विश्व स्तनपान सप्ताह की थीम “इनेवलिंग ब्रेस्ट-फीडिंग : मेकिंग अ डिफरेंस फॉर वर्किंग पेरेंट्स” है। स्तनपान माँ और बच्चा, दोनों के लिये आवश्यक है। परिवार में एक माता को दोहरे दायित्वों का निर्वहन करना होता है। इसलिये यह आवश्यक है कि एक माँ को उसके परिवार से यथोचित सहयोग प्राप्त हो, ताकि वह अपने बच्चे को समुचित स्तनपान करा सके। स्तनपान के लाभ के संबंध में जागरूता बढ़ाने और स्तनपान को प्रोत्साहन देने की गतिविधियों को विश्व स्तनपान सप्ताह में किया जायेगा। इस संबंध में एमडी एनएचएम प्रियंका दास ने सभी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी और सिविल सर्जन को निर्देश दिये हैं।

इसमें स्तनपान सप्ताह के आयोजन के संबंध में जागरूकता बढ़ाई जायेगी। कॉउंसिलिंग ऑवर के दौरान सभी अस्पतालों में एएनसी ओपीडी और पीडियाट्रिक ओपीडी में आने वाली गर्भवती एवं धात्री माताओं, पीएनसी वार्ड में भर्ती प्रसूताओं और एसएनसीयू, एनवीएसयू, एनआरसी में भर्ती बच्चों की माताओं को स्तनपान संबंधी समझाइश दी जायेगी। सभी शासकीय प्रसव केन्द्रों में पदस्थ मेडिकल और पैरा-मेडिकल स्टॉफ, हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर में पदस्थ कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर नवजात शिशु के जन्म के तुरंत बाद माताओं को स्तनपान कराने की समझाइश देंगे।

स्वास्थ्य विभाग द्वारा निर्देश जारी किये गये हैं कि विश्व स्तनपान सप्ताह के दौरान मेटरनिटी एवं शिशु वार्ड के स्टॉफ नर्स और पोषण प्रशिक्षक भर्ती माताओं को सरल और रोचक ढंग से स्तनपान संबंधी परामर्श दें। क्विज के माध्यम से भर्ती माताओं का ज्ञानवर्धन करें। स्तनपान प्रोत्साहन संबंधी ऑडियो-वीडियो का प्रदर्शन करें। शीघ्र स्तनपान एवं 6 माह तक केवल स्तनपान के लिये गर्भवती प्रसूता के परिजन से शपथ ग्रहण करवाना सुनिश्चित करें। लेबर रूम के प्रभारी, स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञों, महिला चिकित्सकों और स्वास्थ्य संस्थाओं के प्रभारियों को स्तनपान के संबंध में जानकारी बढ़ाने के लिये समझाइश देने की जिम्मेदारी निर्वहन करने के लिये भी कहा गया है। मशाल-रैली, दीवार-लेखन आदि गतिविधियाँ की जायें। स्कूल और कॉलेज में स्तनपान संबंधी क्विज प्रतियोगिता, वाद-विवाद प्रतियोगिता, निबंध-लेखन और चित्रकला आदि गतिविधियाँ की जायें। व्हाट्सएप, फेसबुक, ट्यूटर आदि सोशल मीडिया प्लेटफार्म का उपयोग जन-जागरूकता बढ़ाने में किया जाये। शहरी क्षेत्रों में रोटरी क्लब, नर्सिंग होम एसोसिएशन आदि के प्रतिनिधियों की भागीदारी से स्तनपान प्रोत्साहन के कार्यक्रम किये जायें।