इंदौर पुलिस की मुसीबत बना नाइजीरियन, जेल से छूटा तो थाने में रखना पड़ा

इंदौर। सेंट्रल जेल में दो-ढाई साल से बंद एक नाइजीरियन शख्स बरी होकर छूट गया, लेकिन उसकी मुसीबतें कम नहीं हुई है। ठगी के आरोपी रहे 27 साल के विज्डम ओबिन्ना को अब पुलिस ने बंदी बनाकर थाने पर बैठा लिया है। दरअसल, उसके पास न तो वैध पासपोर्ट है, न ही वीजा..। ऐसे में उसे न तो भारत में खुला घूमने दे सकते हैं, न ही उसके वतन वापस भेज सकते हैं। अब एक पुलिस अफसर कह रहे हैं कि उसे जल्द वापस उसके देश में भिजवाएंगे तो दूसरे अफसर कहते हैं कि वह बरी कैसे हो गया, इसके खिलाफ अपील करेंगे। दुविधा में थाने की पुलिस है जिसे इस बिन बुलावे के मेहमान की आवभगत करना पड़ रही है।

62 वर्षीय बुजुर्ग महिला से ठगी में जेल गया, अब बरी होकर ही छूटा

दरअसल, इंदौर की 62 वर्षीय महिला से 31.64 लाख रुपए की धोखाधड़ी करने के आरोप में विज्डम ओबिन्ना उम्र 27 साल को अप्रैल 2021 में इंदौर साइबर सेल ने दिल्ली से गिरफ्तार किया था। तब विज्डम 25 साल का था। उसकी गिरफ्तार के बाद साइबर सेल के अफसरों ने बताया था कि विज्डम एक गिरोह का हिस्सा था, जो सोशल मीडिया पर महिलाओं से दोस्ती करता था और फिर उन्हें लॉटरी और गिफ्ट देने के नाम पर धोखाधड़ी करता था।
विज्डम पर आरोप था कि उसने डेविड लारेंस के नाम से फेसबुक पर दोस्ती कर महिला को ठगा था। पुलिस ने बताया था कि आरोपी के पास से जब्त मोबाइल, लैपटाप की जांच में खुलासा हुआ कि वह 10 तरीकों से ठगी करता था। वो फ्रेंक, जेम्स, विलियम्स केंडो, मैरी चार्लेस, फिलिप जैसे अन्य नामों से फर्जी आईडी बनाकर महिलाओं को जाल में फंसाता था। साइबर सेल ने मोबाइल और ईमेल से मिला डेटा अन्य राज्यों की जांच एजेंसी से साझा किया था।
झांसे में ली गई महिला से गिफ्ट का पैकेट प्राप्त करने के लिए ग्रुप के अन्य लोग कस्टम अधिकारी बनकर बात करते और टैक्स व पैनल्टी के तौर पर रुपए जमा करने की मांग करते थे। वॉट्सएप के जरिए ट्रांजेक्शन की डिटेल लेते थे और महिलाओं से रुपए जमा करवाते थे।
आरोप लगे कि विज्डम बिजनेस वीजा खत्म होने के बाद भी रह रहा था। वो 2014 और 2017 में बिजनेस वीजा पर भी नहीं गया और भारत में अवैधानिक करतूतें करता रहा।
आरोपी विज्डम गिरफ्तार होने के बाद से इंदौर की सेंट्रल जेल में था,लेकिन अब उसे कोर्ट ने बरी कर दिया है। करीब 7-8 दिन पहले विज्डम जेल से रिहा हो गया है, लेकिन भारत में उसका कोई ठिकाना नहीं है और उसे खुला नहीं छोड़ा जा सकता है।

ठीक से हिंदी नहीं समझ पाता

फिलहाल विज्डम को एमजी रोड पुलिस के हवाले किया गया है और वो थाने के यहां एक कमरे में रह रहा है। वो ठीक से हिन्दी नहीं समझ पाता है। लिहाजा टूटी-फूटी इंग्लिश में उससे बात करने की कोशिश की जाती है और वो क्या चाहता है उस संबंध में स्टाफ उसकी मदद करता है। खाने में पोहा,दाल-चावल वो खा रहा है। अंडे की डिमांड भी वो करता है। विज्डम का कहना है कि वो दो साल से जेल में बंद था। अब वो रिहा हो गया है।

पुलिस कमिश्नर बोले- निर्णय होते ही उसे तुरंत भेजा जाएगा

इंदौर पुलिस कमिश्नर मकरंद देउस्कर का कहना है कि इस प्रकरण में फॉरेनर्स एक्ट के तहत नोटिस जारी किया गया है। उसके पास वैध पासपोर्ट और वीजा बाकी नहीं रहा है। ऐसे में संबंधित एंबेसी को सूचित किया गया है और उसे डिटेंशन सेंटर में रखा जाए, जब तक उसके वापस जाने का इंतजाम नहीं हो जाता है। नाइजीरियन एंबेसी को पत्र लिखा गया है। सेंट्रल गवर्नमेंट को भी सूचना दी गई है, प्रक्रिया शुरू हो गई है, जैसे ही निर्णय होता है, उसके बाद उसे तुरंत भेजा जाएगा।