March 28, 2024

इंदौर। पिछले 32 वर्षों से अपने अधिकार के लिए भटक रहे हुकमचंद मिल के हजारों मजदूरों को राहत मिल सकती है। उनके बकाया भुगतान को लेकर हाउसिंग बोर्ड 174 करोड़ रुपये एकमुश्त देने को तैयार है। अब ब्याज को लेकर भी सहमति बनती नजर आ रही है। महापौर पुष्यमित्र भार्गव का कहना है कि इस संबंध में मजदूरों और हाउसिंग बोर्ड से चर्चा चल रही है। उम्मीद है कि ब्याज को लेकर भी सहमति बन जाएगी।
उल्लेखनीय है कि हुकमचंद मिल 12 दिसंबर 1991 को बंद हुई थी। इसके बाद से मिल के 5895 मजदूर अपने हक के लिए भटक रहे हैं। 6 अगस्त 2007 को हाई कोर्ट ने मजदूरों के पक्ष में 228 करोड़ 79 लाख 79 हजार 208 रुपये का मुआवजा तय किया था। इस रकम में से 50 करोड़ रुपये वर्ष 2017 में मजदूरों को मिल चुके हैं। इसके अलावा भी मिल की संपत्ति बिकने पर मजदूरों को छोटा-मोटा भुगतान मिलता रहा है। वर्ष 2007 में तय मुआवजे में से वर्तमान में 173 करोड़ 78 लाख रुपये शेष हैं।
मजदूर मांग रहे 88 करोड़ रुपये ब्याज
हाउसिंग बोर्ड इस रकम को एकमुश्त देने के लिए तैयार है, लेकिन मजदूर इस रकम पर वर्ष 2001 तक ब्याज मांग रहे हैं। मजदूरों के हिसाब से यह रकम 88 करोड़ रुपये होती है। महापौर ने बताया कि ब्याज को लेकर हम मजदूर नेताओं और हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों से चर्चा कर रहे हैं। हाई कोर्ट में होने वाली सुनवाई में इसी मुद्दे पर बात होनी है। उम्मीद है कि बहुत जल्द सहमति बन जाएगी।