April 20, 2024

चंद्रशेखर आजाद, भगतसिंह, स्वामी विवेकानंद के देश में गैंगस्टरों की ऐशोआराम जिंदगी, उनकी स्टाइल, उनकी दबंगई से प्रभावित हो वैसा ही बनने की सनक….

एक वक्त था जब युवा पीढ़ी चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, स्वामी विवेकानंद और इनके जैसे ही न जाने कितने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को अपना आदर्श मानती थी, परंतु वक्त ने करवट ली और आज एक खूंखार मंजर नजर आ रहा है। युवा पीढ़ी अतीक अहमद, दुर्लभ कश्यप, लॉरेंस डिसूजा, मुख्तार मलिक जैसे गैंगस्टर को अपना रोल मॉडल मानते हुए खतरनाक राह पर चल पड़ी है। अपने आपको माफिया, डॉन, भाई, गैंगस्टर आदि कहलाने में जैसे गर्व महसूस करने लगे हैं। सोशल मीडिया उनके कुप्रचार के लिए एक बड़ा माध्यम बन गया है। आइए, आज हम यह समझते हैं कि ये गैंगस्टर कौन हैं? उन्होंने क्या किया और इनके पीछे कैसे कई युवा पागल हो रहे हैं? उनके जैसे बनने के सपने देखने लगे हैं। सीधे-सीधे तबाही का रास्ता खुद ही अख्तियार कर रहे हैं।

गैंगस्टर दुर्लभ कश्यप

सबसे ज्यादा ध्यान देने वाला नाम है उज्जैन का दुर्लभ कश्यप। 8 नवंबर साल 2000 को उज्जैन के जीवाजीगंज के अब्दालपुरा में दुर्लभ कश्यप ने उज्जैन में ही रहकर पढ़ाई की। बचपन से उसे बिल्लियां पालने का बहुत शौक था और जब वह 15 साल का हुआ तो उसने हथियारों के साथ सोशल मीडिया पर अपनी फोटो डालना शुरू कर दी। वह अक्सर लोगों को धमकाता था।
सोशल मीडिया पर दुर्लभ की स्टाइल से प्रभावित होकर कई युवा उससे जुड़ने लगे। बढ़ती फैन फॉलोइंग को देख कर उसे हिम्मत मिलती चली गई और वह अपराध की दुनिया में धीरे-धीरे कदम रखता गया। उसने अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल पर नाम कुख्यात बदमाश और नामी अपराधी लिख रखा था। साथ ही अपने पेज पर उसने एक नोट डाला हुआ था, जिसमें लिखा हुआ था कि किसी भी तरह के विवाद के लिए उससे संपर्क किया जा सकता है। 16 साल की उम्र में उसने अपनी गैंग तैयार की, जिसे वह किसी कॉरपोरेट कंपनी की तरह चलाता था। गैंग के सदस्यों का ड्रेस कोड तय था और सभी माथे पर तिलक, आंखों में सूरमा और कंधे पर काला गमछा रखा करते थे। धीरे-धीरे इस गैंग पर पुलिस ने इन पर कार्रवाई करना शुरू कर दिया। 2018 में दुर्लभ को उसके 23 साथियों के साथ पकड़ लिया गया। तब वह नाबालिग था। इसलिए बाल संप्रेक्षण गृह में रखा गया और 2019 में उसे इंदौर भेज दिया गया। बालिग हुआ तो पुलिस ने फिर कार्रवाई की और एक साल से ज्यादा वक्त उसका भैरवगढ़ जेल में गुजरा। 18 साल की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते दुर्लभ के खिलाफ केस दर्ज हो चुके थे। कम समय में उसने इतने ज्यादा अपराध कर लिए थे कि वह जेल से गैंग चलाने लगा था। दुश्मनी इतनी बढ़ चुकी थी कि उस समय उज्जैन एसपी रहे सचिन अतुलकर ने पूछताछ के दौरान उसे यह तक कह दिया था कि जेल में है तो ही सेफ है। बाहर निकलेगा तो कोई मार देगा।
2 साल तक जेल में बंद रहने के बाद साल 2020 में दुर्लभ बाहर आया। कुछ समय इंदौर में रहा और मां के पास वापस उज्जैन लौट गया। जेल से बाहर आने के बाद वह फिर से एक्टिव हुआ और बदमाशी करने लगा। लेकिन, उसके दुश्मन भी कहीं न कहीं उसे रास्ते से हटाने का प्लान बना चुके थे। 6 दिसंबर 2020 की रात को कुछ युवकों ने दुर्लभ पर हमला किया और चाकुओं से गोद उसे मौत के घाट उतार दिया।

उज्जैन पुलिस ने पकड़ी लेडी दुर्लभ कश्यप
सोशल मीडिया पर हथियारों के साथ डाले हैं फोटो

उज्जैन पुलिस ने धारदार हथियार के साथ एक युवती को गिरफ्तार किया। इस युवती के सोशल मीडिया अकाउंट पर कई आपत्तिजनक तस्वीरें और वीडियो मिले। उज्जैन में गैंगस्टर दुर्लभ कश्यप ने छोटी सी उम्र में बड़े-बड़े कारनामे कर जमकर दहशत फैलाई थी। दुर्लभ कश्यप का तो अंत हो गया लेकिन आज भी कई युवा उसे अपना रोल मॉडल मानते हैं। ऐसी ही एक युवती को उज्जैन पुलिस ने गिरफ्तार किया। युवती ने सोशल मीडिया पर रिवाल्वर और चाकू के साथ अपने कुछ फोटो और वीडियो अपलोड किए थे। उसने दुर्लभ की तरह ही माथे पर टीका लगाकर और गले में गमछा डाले हुए कुछ फोटो भी सोशल मीडिया पर डाले। इसके बाद पुलिस ने उसके खिलाफ आर्म्स एक्ट के तहत केस दर्ज किया। युवती का नाम सोनिया उर्फ नेपु थापा है, वह 19 साल की है और नानाखेड़ा के आनंद नगर इलाके में रहती है। छोटी उम्र में ही पिता का देहांत हो गया था तब से मां के साथ अकेली रहती है। सोशल मीडिया पर सोनिया काफी एक्टिव है जब पुलिस ने उसका इंस्टाग्राम अकाउंट देखा तो पिस्टल के साथ और नशा करते हुए कई फोटो यहां पर दिखाई दिए। उसने कुछ फोटो के कैप्शन में 307 और 302 भी लिख रखा है। इसके अलावा हुक्का पीते, डांस करते, सिगरेट के छल्ले उड़ाते और शराब पीते हुए वह अन्य फोटो वीडियो में नजर आ रही है। साल 2020 में दुर्लभ कश्यप एक गैंगवार में मारा गया था। वह सोशल मीडिया पर काफी पॉपुलर था और सोनिया उससे काफी प्रभावित है। वो उसकी तरह दिखना चाहती है और उसे अपना रोल मॉडल समझती है। उसने पुलिस को बताया कि दुर्लभ कश्यप की वीडियो वह सोशल मीडिया पर देखा करती थी और उसने कुछ फोटो और वीडियो डाले हैं जिसमें खुद को दुर्लभ जैसा लुक देने की कोशिश की है।

गैंगस्टर दुर्लभ से प्रेरित शिवप्रसाद धुर्वे, मानता है रोल माॅडल

सागर में अपराध की दुनिया में खुद को काबिज करने के लिए फिल्मी स्टाइल में बेकसूर सोते हुए सिक्योरिटी गार्डों की हत्या करने वाले शिवप्रसाद धुर्वे ने मप्र के सबसे कम उम्र के गैंगस्टर को अपना रोल मॉडल बनाया था। उज्जैन में कुछ समय पहले तक जिस गैंगस्टर दुर्लभ कश्यप की दहशत कायम थी और जो बाद में गैंगवार में ही मारा गया था, शिवप्रसाद ने उसे अपना रोड मॉडल बना लिया है। उसने दुर्लभ कश्यप के काफी वीडियो देखे हैं, वह उसे इंस्पायर भी है। फिल्मों में अपराध जगत से जुड़े किरदारों को उसने अपना हीरो मानकर उन्हीं के जैसे कम समय में देश-दुनिया में कुख्यात होना चाहता था। इसलिए निर्दोष और बेकसूरों की हत्या कर डाली।
सागर जिले के केसली का कैंकरा गांव का रहने वाला 19 वर्षीय शिवप्रसाद धुर्वे दुनिया में नाम कमाने, फेमस होने के लिए महज एक हफ्ते में इस तरीके से अपराध की दुनिया में कदम रखा कि वह वाकई में गलत रास्ते पर चलकर फेमस हो गया। युवा अवस्था में वह जल्द से जल्द पैसा कमाने और डॉन बनने की चाहत में वह फिल्म केजीएफ-2 और पुष्पा फिल्म के किरदारों को खुद के जीवन में उतारने लगा।

गैंगस्टर माफिया डॉन अतीक अहमद

अतीक अहमद की आपराधिक कहानी का आगाज आज से करीब 44 साल पहले 1979 में हुआ था।
प्रयागराज ही नहीं यूपी सहित कई राज्यों में आतंक का पर्याय अतीक अहमद अब इतिहास की बात हो चुका है, पर हाईस्कूल फेल अतीक के किस्से रोचक और सनसनीखेज हैं। अतीक पर 103 मुकदमे दर्ज थे। उनमें से कई मामले ऐसे रहे जिसने उसे कुख्यात किया। इन मामलों ने उसे माफिया दुनिया में अलग किरदार के रूप में पेश किया। कहते हैं कि माफिया अतीक चुनाव लड़ने के लिए बड़े बिल्डरों और कारोबारियों से इलेक्शन टैक्स लेता था। इन मामलों के अलावा कई ऐसी प्रमुख बातें हैं जिन्होंने अपराध की दुनिया में अतीक का लोहा मनवाने का काम किया। हम यह कह सकते हैं कि इन घटनाओं ने गुंडा अतीक को माफिया अतीक बना दिया। साथ ही देश में कुख्यात माफिया डॉन का दर्जा दिलाने में अहम योगदान रहा। उसकी लाइफ स्टाइल और आपराधिक तथा राजनीतिक क्षेत्र में दबदबे से काफी युवा प्रभावित हुए और उनमें से कई या तो उसके साथ हो लिए या फिर उन्होंने उसी की स्टाइल में अलग गैंग बनाकर अपना दबदबा बनाया।

गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई

लॉरेंस बिश्नोई फजिल्का पंजाब का रहने वाला है। इसने पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में कई वारदातों को अंजाम दिया है। इस पर कई अपराध दर्ज हैं, हालांकि 30 मामलों में यह बरी हो चुका है। वर्ष 2015 में यह पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया था। हालांकि बाद में फिर गिरफ्तार कर लिया गया था। लारेंस अपने आपको स्टूडेंट लीडर बताता है। यह तब चर्चा में आया था, जब इसने खुलेआम फिल्म अभिनेता सलमान खान को मारने की धमकी दी थी। इसका आतंक हरियाणा, पंजाब, दिल्ली समेत कई राज्यों में फैला हुआ है। फिलहाल यह जेल में बंद है।
माफिया डॉन अतीक अहमद और उसके बेटे अशरफ की हत्या करने वाले शूटर लवलेश, सनी और अरुण ने पुलिस के सामने यह कबूला कि वह लॉरेंस बिश्नोई बनना चाहते थे। लॉरेंस बिश्नोई के नाम और काम से प्रभावित हैं। बीते दिनों में कई बार लॉरेंस बिश्नोई के इंटरव्यू देखे और सिद्धू मूसेवाला के मर्डर के बाद से तो वे जैसे उसके फैन हो गए।

भोपाल का डॉन मुख्तार मलिक

मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा को धमकी देने वाले भोपाल के कुख्यात गैंगस्टर मुख्तार मलिक की गैंगवार में गोली लगने के बाद 3 जून 2022 को मौत हो गई। 58 मुकदमों में आरोपी मुख्तार राजस्थान के झालावाड़ में एक नदी से करीब एक किलोमीटर दूर जंगल में घायल अवस्था में मिला था।
मुख्तार मलिक को भोपाल का डॉन भी कहते थे। जमीन से जुड़े विवादों को सुलझाना ही उसका मुख्य पेशा था। मुख्तार का भोपाल और आसपास के जिलों में प्रभाव था। मलिक उसकी तलाश में आए आईपीएस अफसर को थप्पड़ मारने के बाद चर्चा में आया था। इस घटना के बाद वह फरार हो गया था। हालांकि, उसे जब पता चला कि उसे देखते ही गोली मारने के आदेश जारी हुए हैं, उसने कोर्ट में सरेंडर कर दिया था।
मलिक और उसके साथियों पर कोर्ट रूम में फायरिंग करने का भी केस था। उसे एक अन्य मामले में मौत की सजा भी सुनाई गई थी. हाईकोर्ट ने मौत की सजा जारी रखी थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने मलिक को बरी कर दिया।
61 साल के गैंगस्टर मुख्तार मलिक की झालावाड़ में मौत के बाद एक रिकार्डिंग सोशल मीडिया में वायरल हो रही है। बूढ़ा हो चुका बदमाश पूरी दिलेरी से बंटी को धमका रहा था। वह कहता है, हिंदुस्तान में हम पर हाथ डालने की हिम्मत किसी में नहीं। तूने किसके बिल में हाथ डाल दिया।
गैंगस्टर मुख्तार मलिक की आपराधिक स्टाइल से कई युवा प्रभावित हुए हैं हालात यह हो गए थे कि मुख्तार के बेटे का जेल से रिहा होने के बाद आतिशबाजी करते हुए स्वागत किया गया। इतना ही नहीं उसे खुली जीप और लग्जरी गाड़ियों के काफिले के साथ घर तक ले जाया गया। जिस बीआरटीएस डेडीकेटेड लेन पर आम वाहन प्रतिबंधित है वहीं से ये काफिला गुजरा और रास्ते में आतिशबाजी की गई।