बच्चों को पदक मिलते ही माता-पिता की आंखों से छलके आंसू

नगर प्रतिनिधि इंदौर
इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के दीक्षा समारोह में होनहार छात्र-छात्राओं को स्वर्ण व रजत पदक प्रदान किए गए। पदक पाने वालों में छात्राओं की संख्या अधिक रही। कई विद्यार्थियों ने एक या दो नहीं, बल्कि तीन-तीन स्वर्ण पदक हासिल किए। छात्रों की मेहनत और लगन ने उन्हें इस मुकाम पर पहुंचाया है। इंटरनेट के जाल में न फंसने के बजाय इन छात्रों ने अपनी पढ़ाई पर ध्यान लगाया और सात से आठ घंटे की पढ़ाई करके स्वर्ण पदकों को अपने नाम किया। इस अवसर पर सभी के परिजन भी सभागृह में मौजूद थे। वे अपने बच्चों की मोबाइल फोन से तस्वीर निकाल रहे थे। वहीं, पदक मिलने की खुशी में कई बच्चों के माता-पिता के आंसू भी छलक पड़े।
सर्वोच्च पर रहने के लिए हर दिन करती हूं मेहनत – विधि जैन
विधि जैन ने दीक्षा समारोह में तीन स्वर्ण पदक जीतकर अपना व परिवार का नाम रोशन किया। उन्होंने बताया कि हमेशा सर्वोच्च पर रहने के लिए मेहनत करती हूं। इसके लिए प्रतिदिन छह से सात घंटे पढ़ाई करती हूं। फिलहाल तीन स्वर्ण पदक जीतने पर काफी उत्साहित हूं और घरवाले भी बहुत खुश हैं। मुझे देश की बड़ी आइटी कंपनी में साफ्टवेयर डेवलपर के तौर पर सर्वोच्च पद पर पहुंचना है। इस सबके बीच मेरे बड़े भाई ने काफी सहयोग किया और मैं उनसे ही प्रेरणा लेकर आगे बढ़ रही हूं। मेरे भाई भी आइटी कंपनी में नौकरी करते हैं। विधि इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलाजी (आइईटी) में बीई इंफोर्मेशन टेक्नोलाजी की छात्रा रही हैं।
कड़ी मेहनत से हासिल किए पदक – श्रेया
श्रेया पंचेश्वर का कहना है कि मुझे हमेशा से गले में सोना पहनना पसंद था और आज मुझे तीन-तीन पदक मिले। मेरे व परिवार के लिए ये क्षण बड़े महत्वपूर्ण हैं। मैं शुरूआत से पढ़ाई को लेकर बहुत गंभीर रही हूं। मेरे पिता शिक्षक हैं और वे हमेशा मेरी पढ़ाई को लेकर मुझसे ज्यादा सोचते हैं। सिविल इंजीनियरिंग करने में सबसे अधिक सहयोग बड़े भाई का रहा। उन्होंने ही मुझे प्रेरित किया। आगे चलकर मैं आइईएस आफिसर बनना चाहती हूं। इसके लिए प्रतिदिन आठ घंटे पढ़ाई करती हूं। श्रेया ने इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलाजी से बीई सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है।
श्रेया को तीन स्वर्ण पदक
’श्री लक्ष्मी नारायण स्वर्ण पदक
’श्री आरसी जाल चेरिटी ट्रस्ट स्वर्ण पदक
’आइईटी स्वर्ण पदक- श्रेया पंचेश्वर
अंग्रेजी में पहली डीलिट
विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में डीलिट की उपाधि लेने वाली प्रियंका पसारी पहली शोधार्थी हैं। उन्होंने कहा कि एजुकेशन में सबसे बड़ी उपाधि डीलिट है। इस उद्देश्य से अंग्रेजी लिटरेचर में शोध किया है। आगे मुझे कापी राइटिंग क्षेत्र में अपना करियर बनाना है। इन दिनों कई व्यक्तियों की बायोग्राफी लिखने का कार्य कर रही हूं। साथ ही में अपना व्यवसाय भी कर रही हूं। फिलहाल टीचिंग लाइन में आने के बारे में विचार नहीं किया है।