April 26, 2024

ग्वालियर। चंबल के कई गांवों में हर दूसरे घर में मावा बनता है। मावे की मात्रा के हिसाब से दूध का उत्पादन यहां नहीं है। फिर भी यहां से मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में मावा सप्लाई होता है। सावधान..! हो सकता है यह नकली मावा आपके शहर में भी पहुंचा हो…
दिवाली पर घर पर मिठाइयां बनाने के लिए मावा खरीदने जा रहे हैं तो सतर्कता बरतें। डिमांड बढ़ने के साथ ही नकली मावे की सप्लाई भी बढ़ गई है। चंबल के मुरैना-भिंड के कई गांवों में तो लगभग हर दूसरे घर नकली मावा बन रहा है। भिंड जिले के मेहगांव में बना यह मिलावटी मावा मप्र, उप्र और राजस्थान के कई शहरों में भेजा जाता है। ग्वालियर-चंबल अंचल का नकली मावा प्रदेश के शहरों और दूसरे राज्यों में पहुंचाने के लिए ग्वालियर ट्रांजिट पॉइंट है।

आधा लीटर दूध में बन जाता है 300 ग्राम नकली मावा

बताया जाता है कि कढ़ाई में आधा लीटर दूध को खौलाकर इसमें SMP (स्किम्ड मिल्क पाउडर) और रिफाइंड ऑइल। 2 मिनट तक इस मिश्रण को मध्यम आंच पर चलाया। कुल 7 मिनट में 300 ग्राम नकली मावा बन जाता है। भिंड और मुरैना के कई गांव में, बल्कि हर दूसरे घर में नकली मावा बनाने की भटि्टयां जल रही हैं। ये मावा थोक में 140 से 170 रुपए किलो के भाव से बिकता है। मार्केट में यही 300 रुपए किलो बेचा जाता है। मावा तैयार होकर ग्वालियर भेजा जाता है, वहां नकली-मिलावटी मावा के बड़े सौदागर बैठे हैं। वे इस माल को मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और राजस्थान के कई शहरों मे सप्लाई करते हैं।