April 25, 2024

-राजा विक्रमादित्य के दौर से चली आ रही नगर पूजन की परंपरा
-पूजन अप्रीय घटना से बचने और खुशहाली के लिए होता है

उज्जैन। सोमवार को देशभर में महाष्टमी का महापर्व मनाया गया। वही उज्जैन में भी नगर पूजा का आयोजन किया गया। कहा जाता है की नगर पूजा की शुरुआत राजा विक्रमादित्य ने की थी, नगर पूजा में शहर की रक्षा करने वाले देवी देवताओ को मदिरा की भेट दी जाती है, पुराने समय में यह कार्य राजा किया करते थे लेकिन अब के समय में शहर के कलेक्टर नगर पूजा करते है. ऐसी मान्यता है की नगर पूजा करने से देवी खुश होती है और नगर पर आने वाले हर संकट से नगर की रक्षा करती है।

सोमवार सुबह उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह ने छोटी देवी महालाया और बडी देवी महामाया को मदिरा की धार चढ़ाई इसके बाद शहर के 40 प्रमुख देवी व भैरव मंदिरों में पूजन कर प्रसादी चढ़ाई गई। 27 किलोमीटर की इस यात्रा में पूरे मार्ग पर मंदिरा की धार चढ़ाई गई। सबसे पहले कलेक्टर द्वारा चौबीस खंभा महामाया महालया को मदिरा भोग अर्पित किया गया।
ज्ञात हो कि, आज से करीब 2300 साल पहले उज्जैन के राजा विक्रमादित्य के राजकीय काल से ही नगर पूजा की परंपरा चली आ रही है। आज भी विधिवत इस परंपरा का निर्वहन उज्जैन के राजा यानी कलेक्टर द्वारा ही कराया जाता है।