April 27, 2024

नीट में शून्य नंबर आने से आहत मेधावी छात्रा ने हाई कोर्ट में दायर की याचिका, याचिका का अंतिम निराकरण होने तक एमबीबीएस की एक सीट सुरक्षित रखने की मांग की। छात्रा ने कहा-अंगूठे का निशान भी उसका नहीं

इंदौर। नीट की परीक्षा में भी गड़बड़ी या घोटाला होने की बड़ी आशंका है। इससे कई छात्र-छात्राओं का भविष्य अंधकार में है। मेडिकल कालेजों में प्रवेश के लिए आयोजित होने वाली परीक्षा (नीट) में 720 में से शून्य नंबर मिलने से आहत एक मेधावी छात्रा ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। उसका दावा है कि ई-मेल पर उपलब्ध करवाई गई आप्टिकल मार्क रिकग्निशन (ओएमआर) शीट उसकी नहीं है। इस पर जो हस्ताक्षर और अंगूठा छपा है, वह भी उसके नहीं हैं। छात्रा ने पूरे मामले की जांच हाई कोर्ट की निगरानी में कराने और जिम्मेदारों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग भी की है। उसने याचिका के अंतिम निराकरण तक एमबीबीएस की एक सीट आरक्षित रखने की मांग भी की है।
मामला आगर मालवा जिले के ग्राम भैसोदा की रहने वाली लीपाक्षी पुत्री बद्रीलाल पाटीदार का है। वह मेडिकल कालेज में प्रवेश के लिए 17 जुलाई 2022 को हुई नीट में शामिल हुई थी। उसने परीक्षा में पूछे गए 200 प्रश्नों में से 161 सवालों के जवाब दिए थे। छात्रा को उम्मीद थी कि परीक्षा में उसे अच्छे नंबर आएंगे और उसका मेडिकल कालेज में प्रवेश हो जाएगा लेकिन 7 सितंबर को नीट का रिजल्ट आया तो उसके होश फाख्ता हो गए। परीक्षा में उसे 720 में से शून्य नंबर मिला था। छात्रा ने ई-मेल से ओएमआर शीट डाउनलोड की तो पता चला कि ओएमआर शीट में एक भी गोला भरा हुआ नहीं था। सिर्फ इतना ही नहीं पर्यवेक्षक के हस्ताक्षर और परीक्षा कक्ष में लिए गए छात्रा के अंगूठे के निशान और हस्ताक्षर भी अलग थे।

हाई कोर्ट में दायर की याचिका

छात्रा ने एडवोकेट धर्मेंद्र चेलावत के माध्यम से नीट के परिणाम को हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए याचिका दायर की। इसमें गुहार लगाई है कि इस पूरे मामले की जांच हाई कोर्ट की निगरानी में की जाए और लापरवाही के लिए जिम्मेदारों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए। छात्रा का कहना है कि उसे 10वीं में 85 प्रतिशत अंक मिले थे। 12वीं में भी उसे 80 प्रतिशत से ज्यादा नंबर आए हैं। उसे नीट में शून्य आ ही नहीं सकता।

अन्य परीक्षार्थियों के साथ भी ऐसा ही हुआ होगा

याचिका में आशंका जताई गई है कि याचिकाकर्ता के अलावा ऐसी ही गड़बड़ी दूसरे परीक्षार्थियों के साथ भी हुई होगी। जरूरी है कि मामले की विस्तृत जांच हाई कोर्ट की निगरानी में की जाए। याचिका में याचिका के अंतिम निराकरण तक मेडिकल कालेज में एक सीट आरक्षित रखने की मांग भी की गई है।