उज्जैन। महाकाल लोक बनने के बाद लग्जरी बसों का धड़ल्ले से संचालन हो रहा है। लेकिन इनमें सफर करने वाले यात्री कितने सुरक्षित है इसे लेकर परिवहन विभाग कोई सुध नहीं ले रहा है। अन्य जिलों और राज्यों में चलने वाली यात्री बसों में यात्रियों से ज्यादा लगेज का परिवहन किया जा रहा है। बसों की छतों पर ढोये जा रहे इस लगेज से यात्रियों की जान को खतरा हो सकता है।
परमिट की शर्तों का उल्लंघन कर शहर के अंदर से होते हुए जा रही
इसके साथ ही परिवहन विभाग द्वारा बसों को दिए गए परमिट की शर्तों का भी उल्लंघन हो रहा है। इस ओर न तो आरटीओ अधिकारी ध्यान दे रहे हैं और न ही पुलिस। शहर के अंदर से निकलने वाली इन लग्जरी बसों की वजह से हमेशा ट्रैफिक व्यवस्था बिगड़ी रहती है साथ ही इनकी वजह से दुर्घटना की भी आशंका बनी रहती है देर रात में यह लग्जरी बसें सारे नियम लॉन्ग कर शहर के भीड़भाड़ वाले मुख्य मार्ग से होते हुए गुजरती है इस कारण वहां चलो को को इनकी वजह से हमेशा दुर्घटना का डर बना रहता है लेकिन नियम तोड़कर चल रही बसों के खिलाफ प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।
आरटीओ द्वारा ट्रेवल्सों से संचालित होने वाली स्लीपर कोच बसों को यात्रियों के परिवहन के लिए परमिट दिया जाता है। इन बसों में दूरस्थ जिलों के रहवासी आराम से सोते हुए सफर कर अपने गंतव्य को आते-जाते हैं, महाकाल लोक बनने के बाद शहर में इन लग्जरी बस व स्लीपर बसों की आवाजाही अत्यधिक बढ़ गई है।लेकिन बस संचालक मनमानी करते हुए बसों में यात्रियों को और उसकी छतों पर भारी लगेज का परिवहन कर रहे हैं। शहर के देवास गेट बस स्टैंड, नानाखेड़ा बस स्टैंड, एवं अन्य जगह से ट्रेवल्स संचालकों के माध्यम से चलाई जाने वाली बसों की छतों पर सरेआम भारी लगेज को चढ़ाते और उतारते देखा जा सकता है। शहर के मध्य स्थित देवास गेट बस स्टैंड पर दिनभर पुलिस की निगरानी रहती है, और कुछ दूरी पर ही देवास गेट थाना है। लेकिन उसके बाद भी कभी कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। इसके अलावा कई स्लीपर कोच बसें नानाखेड़ा से फ्रीगंज होते हुए देवास गेट पहुंच रही है। दिन में भी यही स्थिति बनी रहती है। भीड़भाड़ वाले इलाकों से यह स्लीपर व लग्जरी बसें भारी भरकम लगेज के साथ निकलती है। लेकिन इन पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है।
आरटीओ अधिकारियों की भी अनदेखी
यात्री बसों को नियमानुसार संचालित करवाने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी आरटीओ और उनके अधीनस्थ अमले की होती है, लेकिन उनके द्वारा भी इस ओर ध्यान नहीं दिया जाता। इससे बस संचालकों को यात्रियों की जान से खिलवाड़ करने की खुली छूट मिल जाता है।
शाम होते ही लग जाता है देवास गेट पर मजमा
बसों में यात्रियों से ज्यादा लगेज लदा रहता है और यह शहर के मुख्य मार्गो से होकर गुजरती है लेकिन उसके बाद भी इन पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। शाम होते ही इन बसों की शहर में आवाजाही बढ़ जाती है और देवास गेट पर यह लगेज से लदी बसें सवारी बैठाने की होड़ में कहीं भी खड़ी हो जाती है। और भारी भरकम लगेज की वजह से हमेशा यात्रियों की जान का खतरा बना रहता है।