भोपाल। मप्र-महाराष्ट्र सीमा पर ताप्ती नदी के बेसिन में जल्द दुनिया का सबसे बड़ा अंडरग्राउंड वाटर स्टोरेज प्रोजेक्ट बनेगा। यह भूजल भंडार मप्र के बुरहानपुर और महाराष्ट्र के जलगांव जिले की चोपड़ा तहसील के बीच दो चट्टानी पहाड़ों के बीच मौजूदा 250 वर्ग किमी के बजाड़ा जोन में आकार लेगा। इस जोन से अप स्ट्रीम में खंडवा जिले की खालवा तहसील और अमरावती जिले की अमरावती तहसील के बीच खरिया-गुटीघाट के बीच एक वियर (छोटा बांध) बनेगा। इसकी भराव क्षमता 8.31 टीएमसी होगी। पहले चरण में इस छोटे बांध से दोनों ओर नहर निकालकर ताप्ती की जलधारा को तीन हिस्सों में बांटा जाएगा। दाएं तट नहर 221 किमी लंबी होगी, जो 110 किमी मप्र, 111 किमी महाराष्ट्र में बहेगी। बाएं तट नहर 135.64 किमी लंबी होगी, जो 100.442 किमी मप्र, 35.22 किमी महाराष्ट्र में बहेगी। दूसरे चरण में महाराष्ट्र 14 किमी लंबी एक टनल बनाकर अपने हिस्से का पानी सूखे इलाकों में सिंचाई के लिए शिफ्ट करेगा।
73 गांव डूबने से बच जाएंगे
1986 में मप्र-महाराष्ट्र के बीच ताप्ती जल बंटवारे का एग्रीमेंट हुआ। फिर 66 टीएमसी जलभराव क्षमता के बांध की योजना बनी। इसमें 17216 हेक्टे. जमीन डूब में आ रही थी, जिसमें 6 हजार हेक्टे. जंगल भी था। 73 गांव विस्थापित होने थे। इसलिए मप्र ने सहमति नहीं दी। अब यहीं सिर्फ 8.31 टीएमसी क्षमता का छोटा बांध बनेगा। सभी 73 गांव डूबने से बच जाएंगे। इस बैराज में सिर्फ 3928 हेक्टेयर जमीन ही डूबेगी, जिसमें 1556 हेक्टेयर मप्र की और 2372 हेक्टेयर जमीन महाराष्ट्र की है। इस परियोजना पर लगभग 19,244 करोड़ रुपए की लागत आएगी। दोनों राज्यों के इस पर सहमत होने पर केंद्र सरकार इसे राष्ट्रीय परियोजना के तहत 90% फंडिंग कर सकती है। 10% दोनों राज्यों को देना होगा।