रंगपंचमी पर इंदौर की गेर को यूनेस्को की सूची मैं शामिल करने की कोशिश

 

इस बार बड़ी संख्या में शामिल हो रहे प्रवासी इंदौरी

इंदौर। जिला प्रशासन प्रयास कर रहा है कि इंदौर में निकलने वाली रंग पंचमी की गेर को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल कर लिया जाए। सबसे पहले यह योजना वर्ष 2020 में बनाई थी। कोविड के कारण जो पूरी नहीं हो पाई। अब फिर प्रयास किए जा रहे हैं।
इस बार प्रवासी भारतीय भी बड़ी संख्या में रंगपंचमी की गेर देखने आए हैं। इंदौर के ऐसे कई लोग हैं, जो बरसों पहले अमेरिका, इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया, यूरोप, दक्षिण अफ्रीका, केन्या जैसे देशों में जा बसे। परंतु उनके दिल में इंदौर आज भी वैसा ही धडकता है।
शनिवार को रंगपंचमी है और फिर इन प्रवासी इंदौरियों का मन रंगपंचमी का हुरियारा बनने के लिए हुलस उठा है। यही कारण है कि कई प्रवासी इंदौरी अबकी बार भी रंगपंचमी मनाने इंदौर आए हैं।

60 प्रवासियों के रजिस्ट्रेशन

गेर में शामिल होने के लिए प्रवासी इंदौरी रजिस्ट्रेशन करवा रहे हैं। अब तक 60 से ज्यादा प्रवासियों के रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं। ,गेर में शामिल होने के लिए अफ्रीकी देशों से भी प्रतिनिधिमंडल आ रहा है।

चंद लोगों से लाखों तक पहुंचा रंग का रैला

रंगपंचमी पर प्रसिद्ध गेर की शुरुआत 75 वर्ष पहले मल्हारगंज से राजवाड़ा के बीच हुई थी। इस दौरान लोग रंग उड़ाते हुए काफिला बनाकर चलते थे। गिनती के चंद लोगों से शुरू हुआ यह सफर अब लाखों लोगों तक पहुंच चुका है।

टोरी कार्नर गेर शोक के कारण पहली बार नहीं निकलेगी

इधर, टोरी कार्नर गेर के संयोजक शेखर गिरी के बड़े भाई सतीश गिरी (73) पिता स्व छोटेलाल गिरी का शुक्रवार की सुबह निधन हो गया।
परिवार में शोक के कारण (शनिवार ) रंगपंचमी पर टोरी कार्नर से निकलने वाली गैर इस बार नहीं निकलेगी।गौरतलब है कि कोरोना काल के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब शोक के कारण 75वें वर्ष में गैर निरस्त करना पड़ रही है। इंदौर की गेर वाले रंग महोत्सव को यूनेस्को धरोहर में शामिल करने के लिए बीते तीन साल से जो पहल चल रही है। उसमें टोरी कार्नर वाली इस गैर का खास महत्व इसलिए भी है कि होल्कर रियासत के बाद रंगपंचमी पर गेर की शुरुआत पूर्व पार्षद बाबूलाल गिरी और उनकी मित्रमंडली ने ही की थी।