नीलगाय के आतंक से परेशान किसान…सड़क हादसे भी बड़े…
रतलाम। यह तस्वीर मालवा निमाड़ के किसानों की है अंधेरा होते ही ऐसी आवाज आना आम बात सी है। यहां नीलगाय से फसल को बचाने के लिए किसान दिन-रात खेतों में रहने के लिए मजबूर है इन्हें भगाने के लिए कोई आवाज लगता है तो कोई थाली बजाता है।
छुटकारा पाने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा कर रहा आंदोलन…
नील गायों का सबसे ज्यादा आतंक रतलाम मंदसौर और नीमच जिले में है याह किसान की फसलों को नीलगाय चौपट कर देती है इससे परेशान रोजाना गांव का किसान ईश्वर लाल अपने बगीचे पर जेसीबी चलाने को मजबूर है। फसलों को बचाने के लिए किसान खेतों में तार फेंसिंग कर चुके हैं लेकिन नीलगाय फिर भी उन्हें तहस-नहस कर देती है। रतलाम जिले में नीलगाय से लोग एक्सीडेंट का भी शिकार हो रहे हैं 31 दिसंबर को रतलाम जिले के ग्राम के मुकेश और उनका पोता नीलगाय से टकरा गए पोता तो बज गया। लेकिन मुकेश ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। नीलगाय का आतंक से छुटकारा पाने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा जगह-जगह आंदोलन कर रखा है। नीलगाय में गाय शब्द जुड़ा होता है इसलिए प्रशासन इसे मारने की अनुमति नहीं देता है यही वजह है की तेजी से इसकी संख्या बढ़ रही है।