Posted in Uncategorized चुनाव के बीच नक्सली हमला Dainik Awantika November 17, 2023 0 8 धमतरी। चुनाव के बीच छत्तीसगढ़ के धमतरी में नक्सली हमला, CRPF और DRG की टीमों पर IED ब्लास्ट किया। Author: Dainik Awantika Instagram Related Articles 0 9 पूर्व मंत्री दीपक जोशी भाजपा में लौटेंगे, दो कांग्रेस विधायक भी हाथ का साथ छोड़ थामेंगे कमल 0 9 राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाए जा सकते हैं शिवराज 0 10 सावन माह शुक्रवार : महाकाल के दिव्य दर्शन, महाआरती 0 28 MP का पहला टाइगर रिजर्व जहां साथ रहेंगे बाघ, तेंदुआ और चीता — 15 साल पुराना सपना साकार होने की कगार पर! सागर। मध्य प्रदेश के वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व (पूर्व में नौरादेही) में अब बाघ और तेंदुए के साथ चीता भी नजर आएंगे। ये भारत का पहला ऐसा टाइगर रिजर्व बनने जा रहा है जहां ‘बिग कैट फैमिली’ के तीनों प्रमुख शिकारी एक साथ रहेंगे। करीब 15 साल पहले तैयार की गई चीता पुनर्वास योजना अब मूर्त रूप लेने जा रही है। चीता मेटा पॉपुलेशन प्रोजेक्ट के तहत नामीबिया, बोत्सवाना और दक्षिण अफ्रीका से कुछ और चीतों को भारत लाकर नौरादेही और अन्य चिन्हित क्षेत्रों में बसाया जाएगा। 2010 में ही हो गया था चयन भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) ने वर्ष 2010 में नौरादेही के मुहली, सिंहपुर और झापन रेंज को चीता पुनर्वास के लिए उपयुक्त बताया था। इन रेंजों का क्षेत्रफल लगभग 600 वर्ग किमी है, जबकि पूरा रिजर्व 2339 वर्ग किमी में फैला हुआ है। हाल ही में NTCA के डीआईजी डॉ. वीबी माथुर और WII के वैज्ञानिकों ने डिप्टी डायरेक्टर डॉ. एए अंसारी के साथ संभावित क्षेत्रों का मैदानी सर्वेक्षण किया। बाघ-तेंदुए के बीच क्या टिक पाएंगे चीते? ये सवाल लंबे समय से विशेषज्ञों के बीच चर्चा का विषय रहा है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि तीनों प्रजातियां शिकार की अलग-अलग तकनीक और पसंद रखती हैं: बाघ – बड़े जानवर जैसे नीलगाय, भैंसा का शिकार करता है तेंदुआ – मध्यम आकार के जानवरों जैसे जंगली सुअर और नीलगाय के बच्चे चीता – चीतल, काला हिरण और खरगोश जैसे तेज दौड़ने वाले जीवों का शिकार करता है तीनों शिकारी स्वाभाविक रूप से एक-दूसरे से दूरी बनाए रखते हैं, जिससे सह-अस्तित्व संभव है। सपने के रास्ते में चुनौती: गांवों का विस्थापन इस प्रोजेक्ट की सफलता के लिए सबसे बड़ी जरूरत है — स्थानीय गांवों का विस्थापन और चीतों की सुरक्षा। सबसे बड़ा गांव मुहली, जिसकी आबादी करीब 1500 है विस्थापन पर अनुमानित खर्च – 200 करोड़ रुपए 75 साल बाद लौट रहा भारत का खोया गौरव वर्ष 1952 में अंतिम चीता मारे जाने के बाद से यह प्रजाति भारत से विलुप्त हो चुकी थी। लेकिन अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी चीता परियोजना के तहत एक बार फिर चीतों की वापसी हो रही है। WII ने गुजरात के बन्नी ग्रासलैंड और मध्य प्रदेश के नौरादेही टाइगर रिजर्व को उपयुक्त स्थल माना है। वर्ष 2026 तक चीते यहां स्थायी रूप से बस सकते हैं। ये सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि भारत के वन्यजीव संरक्षण इतिहास में एक नया अध्याय बनने जा रहा है — जहां 75 साल बाद चीता दोबारा दौड़ेगा, और वो भी बाघ और तेंदुए के बीच।