May 1, 2024

उज्जैन। कार्तिक मेले से पहले क्षिप्रा किनारे गधो (गदर्भ) के मेले की अनूठी परम्परा है। जिसकी शुरूआत हो चुकी है। गधों की दांत देखकर खरीददारी हो रही है, खच्चरों का कद-काठी देख सौदा किया जा रहा है। प्रदेश के साथ ही राजस्थान-महाराष्ट्र के व्यापारी अपने पशु लेकर मेले में पहुंचे है।
सालों पहले कार्तिक पूर्णिमा से पहले क्षिप्रा किनारे गधों के मेले की शुरूआत हुई थी। उसके बाद से मेले की रौनक बढ़ती गई और देश के कई प्रदेशों से पशु पालक अपने गदर्भो को लेकर यहां पहुंचने लगे। अपने आप में अनूठा यह मेला कुछ सालों पहले फिल्मी सितारों के नाम से गदर्भो की बोली लगने से काफी चर्चा में आ गया। पहले राजा-रानी के नाम रखे जाते थे, लेकिन अब शाहरूख-सलमान, कंगना-करिश्मा नाम से मेले में गदर्भो को लाया जाता है। 2 दिनों से क्षिप्रा किनारे मेले 400 से अधिक गदर्भ और खच्चर नजर आ रहे है। पशु पालक राजस्थान, महाराष्ट्र और प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से गधे-खच्चर लेकर आए है। वहीं खरीदने के लिये भी देश के अलग-अलग राज्यों से लोग यहां पहुंच रहे है। बोझ ढोने के अत्याधुनिक संसाधन होने के बावजूद गधों और खच्चरों को महत्व अब भी कम नहीं हुआ है। मेले में 5 हजार से लेकर 50 हजार तक पशु होना बताए जा रहे है। सालों से आ रहे व्यापारियों को कहना था कि 2 साल कोरोना के चलते वह नहीं पहुंच पाये थे। इस बार मेले में कुछ नए व्यापारी भी नजर आ रहे है। उम्मीद है कि कारोबार अच्छा होगा। चर्चित नाम होने से मेले में महौल बना रहता है।