सुनो नवागत कलेक्टर साहब : भीषण जल संकट की त्रासदी से मुक्ति चाहते हैं रतलाम वासी

ओम त्रिवेदी

रतलाम । रतलाम में नए कलेक्टर साहब आ गए हैं, रतलाम वासी उनका पलक पावडे बिछाकर स्वागत करती है, और मूलभूत सुविधा मे आई विकट समस्याओं का समाधान भी चाहती है ।

रतलाम की जनता पानी के लिए त्राहि-त्राहि कर रही है, रतलाम में कई दिनों से जल संकट बढ़ता ही जा रहा है ,पूर्व कलेक्टर के प्रयास भी सफल नहीं हो पाए है, नगर निगम के नलों में सप्ताह में एक या 2 दिन पानी आता है। वह भी मात्र 30 – 40 मिनट के लिए, धोलावाड़ में भरपूर पानी का दावा करने वाले अफसर मुंह छुपा रहे हैं , डेम में 2 साल का पानी होने का दावा करने वाले अब चुप बैठे हैं , धोलावड से शहर में सप्लाई की व्यवस्था ध्वस्त हो गई है , टंकियों में पानी भरा नहीं रहा है , पानी भर जाए तो सप्लाई व्यवस्था बिगड़ चुकी है। वाल मैन कम पानी सप्लाई के लिए वाल कम ज्यादा खोल रहे हैं ,जल प्रदाय के जिम्मेदार बदले जा रहे हैं लेकिन स्थिति वही ढाक के तीन पात है, पानी की चोरी धोलावाड़ से लेकर रतलाम शहर तक में धड़ल्ले से हो रही है।

निगम के जिम्मेदार अफसर अपना बुढ़ापा शाही अंदाज में गुजारने का इंतजाम करने में लगे हुए हैं , निगम के मात्र दो-तीन टैंकर सीमित स्टाफ से मोहल्लों में पानी संकट को दूर करने का असफल प्रयास कर रहे हैं , जल संकट की त्राहि-त्राहि को देखते हुए गत दिवस कांग्रेस को प्रदर्शन की याद आई और विधायक के घर के सामने प्रदर्शन भी किया है, नगर विधायक द्वारा रोज पानी देने का दिया आश्वासन वर्तमान में धूल धूसरित हो गया है, जल संकट से आए दिन विवाद हो रहे हैं ,परिवार में इस समस्या की वजह से झगड़े हो रहे हैं , जिम्मेदार इस संकट को सुनने के लिए तैयार नहीं है , फोन लगाने पर वे उठाते नहीं हैं , सीएम हेल्पलाइन में भी शिकायत के बावजूद सुनवाई नहीं हो रही है ,जल संकट के लिए बदनाम रतलाम सत्ताधारियों के लिए चुनौती बना हुआ है।

आगामी होने वाले चुनाव में यह भीषण समस्या प्रमुख मुद्दा बनेगी, भाजपा के सरकार को बदनाम करने की क्या यह कोई साजिश तो नहीं है , जल संकट रतलाम के अधिकांश हिस्सों में व्याप्त है ,ऐसे में शहर की जनता टकटकी लगाकर नए कलेक्टर की ओर देख रही है , कलेक्टर सूर्यवंशी साहब ,इससे निजात दिलाने के लिए कोई स्थाई सिस्टम बनाना आज की आवश्यकता है , भीषण गर्मी के इस दौर में लोगों के कंठ पानी के लिए नहीं तरसे ऐसी व्यवस्था की अपेक्षा है ।